पढ़ें एक मां की सच्ची कहानी जिसके जज्बे ने सरकार को किया पासपोर्ट के नियम कानून बदलने को मजबूर
यह कहानी एक ऐसी मां की है, जिसके जज्बे से टकराकर देश का कानून टूट गया और बदल गए पासपोर्ट से जुड़े नियम-कायदे। बात हो रही है मुंबई की रहने वालीं जारिया पटानी की। जिनके संघर्षों की दास्तां पढ़कर हर महिला को अपने हक के लिए लड़ाई छेड़ने की प्रेरणा मिलेगी। जारिया की कोशिश से कौन से कानून टूटा और पासपोर्ट का कौन सा नियम बदला, यह जानने से पहले हमें इस महिला के संघर्ष की कहानी जाननी चाहिए। बात कई बरस पहले की है, जब जारिया महज 19 साल की थी और मुंबई में रहती थी। जारिया का परिवार जिस बिल्डिंग में रहता था, उसी में एक लड़का भी रहता था, जिसकी उम्र तब जारिया से सात साल ज्यादा थी। एक दिन वो लड़का जारिया के कॉलेज पहुंचता है और क्लास खत्म होने पर उन्हें किसी रेस्टोरेंट में चलकर कॉफी पीने की फरमाइश रखता है। काफी संकोच के बाद जारिया हां कहती हैं और फिर दोनों के बीच लंबी बातचीत होती है। पहली मुलाकात में ही जारिया लड़के को अपना दिल दे बैठती है। बात शादी की आती है तो फिर सात साल बड़े लड़के से शादी करने में जारिया को कोई हिचक नहीं हुई। जारिया जिसे सपनों का राजकुमार समझती थीं, वह कुछ और निकला। इस कहानी से यह भी सीख मिलती है कि कम समय में ही बिना पूरी तरह से जांचे-परखे शादी करना कितने बड़े संकट को न्यौता देना है। हनीमून के समय से ही जारिया को अपने साथ गलत महसूस होने लगा। लड़के की आदतें उसको लेकर बदलने लगीं और वह रुखा व्यवहार करने लगा। जरूरत से ज्यादा लड़का असुरक्षा की भावना से ग्रसित होने लगा। वह किसी से बात करने पर भी जारिया को बुरी तरह झिड़क देता यहां तक खाने और पहनने पर भी तमाम बंदिशे लगाने लगा।
जारिया के मुताबिक एक बार वे लोग लंदन गए तो वहां ठंड में भी पति ने जैकेट नहीं पहनने दिया और कहा कि सिर्फ सलवार सूट में ही रहो। दुबई में उसने जारिया को गर्मी में भी अपनी जिद के चलते एसी नहीं चलाने दिया। यही नहीं तेज रफ्तार से कार चलाकर डराने की कोशिश की। गर्भवती होने के बाद भी पति का जुल्म नहीं थमा। इस बीच जारिया मुंबई आई तो संबंध और खराब हो गए। पहले तो पति ने पेट में पल रहे बच्चे की कस्टडी के लिए लीगल नोटिस भेज दिया। 2012 में जारिया का पति से तलाक तो हो गया मगर गुजारा भत्ता नहीं मिला। फिर जारिया ने अपने लॉजिस्टिक्स के फेमिली बिजनेस में जोड़कर कड़वी यादों को भुलाने की कोशिश की।
शादी के बाद छूटे फोटोग्राफी के पैशन को फिर से जीना शुरू किया। इस बीच बेटे मुहम्मद का जन्म हुआ तो जारिया ने बेटे को ही दुनिया समझकर उसी के लिए जीना शुरू किया। बाद में वीजा के लिए बेटे मुहम्मद का पासपोर्ट बनना था। पासपोर्ट के दिशा-निर्देशों के अनुसार आवेदन पर मुहम्मद के पिता के दस्तख्वत होने जरूरी थे। इसको लेकर सैकड़ों पर बार जारिया ने पासपोर्ट कार्यालय का चक्कर लगाया, मगर कोई लाभ नहीं हुआ। फिर सुप्रीम कोर्ट के एक दिशा निर्देश जिसमें सिंगल मदर भी बच्चे की अभिभावक हो सकती है का हवाला देते हुए जारिया ने विदेश मंत्री सुषम स्वराज को ट्वीट किया। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने तत्काल मंत्रालय को यथोचित कार्रवाई का निर्देश दिया। जिसके बाद पासपोर्ट के नियम-कायदों में बदलाव हुआ। जिसके बाद अब पासपोर्ट आवेदन में माता-पिता में से किसी एक के नाम से भी बेटे-बेटी का पासपोर्ट बन सकता है।