आईआईटी मद्रास ने रामदेव को बनाया चीफ गेस्ट, कार्यक्रम से हटा अमेरिकी रिसर्च सेंटर

आईआईटी मद्रास के प्रस्तावित कार्यक्रम से अमेरिकी कैंसर रिसर्च सेंटर के हटने से नया विवाद पैदा हो गया है। आईआईटी की ओर से 8 फरवरी (गुरुवार) को चेन्नई में ‘कैंसर रोकथाम अैर इलाज: प्राचीन दवा से आधुनिक दवा तक’ विषय पर कांफ्रेंस आयोजित किया जाना है। इसमें योग गुरु बाबा रामदेव को चीफ गेस्ट के तौर पर आमंत्रित किया गया था। यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्सास में स्थित एमडी एंडर्सन कैंसर सेंटर के प्रोफेसर सेन पाठक को रामदेव का परिचय कराना था। इस बीच, कैंसर सेंटर ने कांफ्रेंस से ही किनारा करने की घोषणा कर दी। स्वास्थ्य संबंधी गितिविधियों पर नजर रखने वाली संस्था रिट्रैक्शन वॉच ने रिसर्च सेंटर को कांफ्रेंस में संस्थान के लोगो का इस्तेमाल करने को लेकर आगाह किया था। एंडर्सन सेंटर ने ट्वीट कर कहा, ‘एमडी एंडर्सन कैंसर सेंटर अतीत में अपने ग्लोबल एकेडमिक प्रोग्राम के तहत कांफ्रेंस को स्पॉन्सर करता रहा है। लेकिन, इस बार एंडर्सन सेंटर स्पॉन्सर नहीं है। हमारे नाम और लोगो का इस्तेमाल बिना मंजूरी के किया जा रहा है। हमारा अनुरोध है कि प्रचार सामग्री से इसे अविलंब हटा दिया जाए।’

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, कार्यक्रम के एक और आयोजक भरत अग्रवाल भी संदेह के घेरे में हैं। रामदेव योग और पतंजलि द्वारा बनाई गई दवा के जरिये कैंसर और एड्स जैसी जानलेवा बीमारियों के खत्म होने का दावा कर चुके हैं। वैज्ञानिक अभी तक इन दोनों बीमारियों से निजात दिलाने वाली दवा विकसित नहीं कर सके हैं। ऐसे में रामदेव के दावों को भी वैज्ञानिक समुदाय का समर्थन नहीं मिला है। एंडर्सन कैंसर सेंटर इस कांफ्रेंस से लंबे समस से जुड़ा रहा है। इसमें हिस्सा लेने के लिए सेंटर के दो प्रोफेसर आते रहे हैं। इसपर मद्रास आईआईटी के बायोटेक्नोलॉजी विभाग के डी. करुणागरन ने बताया कि उन्होंने सिर्फ टि्वटर ही देखा है। उन्हें कांफ्रेंस को लेकर निजी तौर पर किसी तरह की जानकारी नहीं दी गई है। ‘द न्यूज मिनट’ की रिपोर्ट के अनुसार, सम्मेलन के एजेंडे में एंडर्सन कैंसर सेंटर के प्रोफेसर को रामदेव का परिचय देना था। भारत में कैंसर और एड्स के दर्जनों नए मामले हर साल सामने आते हैं। इससे निपटने के लिए प्रयास भी किए जा रहे हैं, लेकिन भारत के साथ दुनिया के वैज्ञानिक समुदाय को अभी तक इस दिशा में उल्लेखनीय सफलता नहीं मिल सकी है। इसके कारण कई लोगों को जान तक गंवानी पड़ती है।

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