राम मंदिर-बाबरी मस्जिद मामला: अगली सुनवाई 14 मार्च को, देना होगा 42 किताबों का अनुवाद
Ayodhya Babri Masjid, Ram Mandir: सुप्रीम कोर्ट के तीन जजों की बेंच गुरुवार को अयोध्या मामले में अंतिम सुनवाई शुरू हो गई है।चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एस. अब्दुल नजीर की बेंच 13 याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई कर रही है। वरिष्ठ वकील व कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल की ओर से इस मामले की सुनवाई 2019 के लोकसभा चुनाव तक डालने की अपील की गई थी, जिसे शीर्ष अदालत ने ठुकरा दिया। अयोध्या में कुल 2.7 एकड़ की विवादित जमीन पर हिंदुओं और मुसलमानों, दोनों ने दावा ठोंक रखा है। 5 दिसंबर, 2017 को बेंच ने इस मामले की सुनवाई के लिए 8 फरवरी की तारीख तय की थी। कुछ याचिकाकर्ताओं की ओर से कपिल सिब्बल, राजीव धवन और दुष्यंत दवे जैसे वरिष्ठ वकीलों ने देश के राजनैतिक हालात को देखते हुए सुनवाई टालने की गुहार लगाई थी। हालांकि अदालत ने सुनवाई को टालने से इनकार करते हुए वरिष्ठ अधिवक्ताओं के व्यवहार को ‘शर्मनाक’ करार दिया था।
-चीफ जस्टिस ने कोर्ट में रखी गई कुल 42 किताबों का अनुवाद दो हफ्तों में जमा कराने का दिया निर्देश। मामले में अगली सुनवाई 14 मार्च को होगी।
-चीफ जस्टिस बोले- अयोध्या मामला एक भूमि विवाद है।
– एबीपी न्यूज के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या मामले पर सुनवाई शुरू हो गई है। तीनों जज कोर्ट रूम में मौजूद हैं। माना जा रहा कि अदालत रोज सुनवाई की तारीख दे सकता है।
– यह पूरा मामला 1951 में शुरू हुआ जब गोपाल सिंह विशारद ने इलाहाबाद हाई कोर्ट में याचिका लगाकर विवादित स्थल पर पूजा की इजाजत मांगी। 1959 में परमहंस रामचंद्र दास ने जहूर अहमद व 7 अन्य के खिलाफ मुकदमा दायर किया। हालांकि बाद में इसे वापस ले लिया गया और 2010 के फैसले में इसे खारिज माना गया। इसके बाद अगला मुकदमा निर्मोही अखाड़ा की ओर से उसके महंत ने किया। एक और मुकदमा सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड, यूपी और अयोध्या के नौ मुसलमानों की तरफ से हुआ। इनमें से ज्यादातर की मौत हो चुकी है। आखिरी मुकदमा अयोध्या में श्री राम जन्मभूमि में भगवान श्री राम विराजमान और वरिष्ठ अधिवक्ता व रिटायर्ड हाई कोर्ट जज श्री देवकी नंदन अग्रवाल द्वारा किया गया।
– वरिष्ठ वकीलों कपिल सिब्बल और राजीव धवन ने कहा था कि दीवानी अपीलों को या तो पांच या सात न्यायाधीशों की पीठ को सौंपा जाए या इसे इसकी संवेदनशील प्रकृति तथा देश के धर्मनिरपेक्ष ताने बाने और राजतंत्र पर इसके प्रभाव को ध्यान में रखते हुए 2019 के लिए रखा जाए।
– शीर्ष अदालत ने भूमि विवाद में इलाहाबाद उच्च न्यायालय के 2010 के फैसले के खिलाफ 14 दीवानी अपीलों से जुड़े एडवोकेट आन रिकार्ड से यह सुनिश्चित करने को कहा कि सभी जरूरी दस्तावेजों को शीर्ष अदालत की रजिस्ट्री को सौंपा जाए।