राजस्थान उपचुनाव: नतीजों के पोस्टमॉर्टम से बीजेपी के लिए खतरे की घंटी, मिले कहीं 2, 1 तो कहीं 0 वोट
राजस्थान उपचुनाव के नतीजों के नतीजे बीजेपी के लिए किसी बुरे सपने की तरह हैं। पार्टी इससे उबरने की कोशिश कर रही है, लेकिन अलवर, अजमेर और मांडलगढ़ सीट पर हार से जुड़ी हर एक नयी रिपोर्ट पार्टी के लिए नयी चुनौतियां सामने लाती है। इन उपचुनाव के नतीजों के पोस्टमार्टम से पता चला है कि कई ऐसे बूथ थे जहां पर बीजेपी उम्मीदवार को मात्र 01 या 02 वोट मिले। यहीं नहीं कुछ बूथ तो ऐसे थे जहां पर बीजेपी को एक भी वोट नहीं मिला है। जिस पार्टी की सरकार प्रचंड बहुमत से दिल्ली में और राजस्थान में राज कर रही है, उसी के पार्टी के कैंडिडेट के कुल जमा खाते में 1, 2 या 0 वोट एक बेहद गंभीर खतरे का संकेत हैं। यहां दीगर यह है कि राजस्थान में इसी साल विधानसभा के चुनाव हैं और अगले साल हिन्दुस्तान नया प्रधानमंत्री चुनने जा रहा है। उपचुनाव के विश्लेषण से बीजेपी की सिट्टी-पिट्टी गुम है। न्यूज 18 की एक रिपोर्ट के मुताबिक अजमेर के नसीराबाद विधानसभा क्षेत्र के बूथ नंबर 223 में बीजेपी को मात्र एक वोट मिला, जबकि यहां कांग्रेस को 582 वोट मिले। बूथ नंबर 224 में बीजेपी को 2 वोट मिले जबकि कांग्रेस यहां 500 वोट हासिल करने में कामयाब रही।
दुधू विधानसभा के बूथ नंबर 49 का नतीजा तो बीजेपी के लिए हैरान करने वाला था। यहां पर बीजेपी को एक भी वोट नहीं मिले, जबकि कांग्रेस 337 वोट मिले। इसका मतलब ये है कि यदि बीजेपी ने यहां अपने बूथे एजेंट नियुक्त किये थे तो उन्होंने भी पार्टी को वोट नहीं दिया। दिल्ली में बीजेपी के वरिष्ठ नेता ने कहा कि अजमेर में बीजेपी दोनों शहरी सीट गंवा दी, जबकि इससे पहले और भी चुनौतीपूर्ण हालात थे फिर भी 1985 और 1998 को छोड़कर बीजेपी यहां जीतने में कामयाब रही थी। बीजेपी का कहना है कि शहरी वोटों में बिखराव पार्टी के लिए चिंता की बात है। हार का अंतर भी बीजेपी के लिए चिंता का सबब है। 2014 में बीजेपी ने अलवर सीट 2.5 वोटों से जीती थी, लेकिन इस बार पार्टी को लगभग 2 लाख वोटों से हार का सामना करना पड़ा। यानी की पार्टी को लगभग साढ़े चार लाख वोटों का नुकसान हुआ। राजस्थान में लोकसभा की 25 सीटें हैं। यहां पर ट्रेंड रहा है कि जो पार्टी विधानसभा चुनाव जीतती हैं, लोकसभा में भी उसी पार्टी के हिस्से ज्यादातर सीटें आती हैं। निश्चित रूप से वोटिंग का ये ट्रेंड और पैटर्न पार्टी के लिए भारी चिंता की बात बन गई है।