कभी संघ मुक्त भारत की बात करने वाले नीतीश कुमार ने किया आरएसएस प्रमुख का बचाव, जानिए क्या कहा
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से देश को मुक्त कराने की बात करने वाले बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत का बचाव किया है। उन्होंने संघ को नागरिकों का संगठन भी करार दिया है। बिहार के सीएम ने कहा, ‘यदि कोई संगठन कह रहा है कि वह देश की रक्षा के लिए तैयार है तो इसमें मैं क्या कहूं। इसमें कोई विवाद नहीं लगता है। यदि कोई नागरिक या नागरिकों का संगठन सीमा की रक्षा के लिए अपनी तत्परता की बात करता है तो इसमें क्या विवाद हो सकता है। हालांकि, मैं पूरी बात नहीं जानता हूं।’ मोहन भागवत ने मुजफ्फरपुर में संघ के पांच दिवसीय कार्यक्रम में कहा था कि स्वयंसेवक सेना की तरह अनुशासित होते हैं। उनके अनुसार, यदि संविधान और कानून इजाजत दे तो युद्ध की स्थिति में स्वयंसेवक सेना से भी पहले तैयार होकर मौके पर पहुंचने में सक्षम होंगे। साथ ही भागवत ने कहा था कि सेना युद्ध की स्थिति में तैयार होने में छह से सात महीने का वक्त लगा सकती है, लेकिन स्वयंसेवक दो से तीन दिन में तैयार हो जाएंगे। आरएसएस प्रमुख के इस बयान पर हर तरफ से प्रतिक्रियाएं सामने आने लगी थीं। संघ ने उनके इस वक्तव्य का बचाव करते हुए बयानों को तोड़-मरोड़ कर पेश करने की बात कही है।
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने वर्ष 2016 में संघ मुक्त भारत की बात कही थी। उन्होंने पटना में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए लोकतंत्र की रक्षा के लिए सभी गैर-भाजपा दलों से एकजुट होने का भी आह्वान किया था। नीतीश के संघ मुक्त भारत से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकसभा चुनावों (2014) के दौरान जोर-शोर के साथ ‘कांग्रेस मुक्त भारत’ की बात की थी। बिहार के मुख्यमंत्री ने कहा था, ‘भाजपा और उसकी बांटने वाली विचारधारा के खिलाफ एकजुटता ही लोकतंत्र को बचाने का एकमात्र रास्ता है। मैं किसी व्यक्ति विशेष या किसी दल के खिलाफ नहीं हूं। मैं संघ की बांटने वाली विचारधारा के खिलाफ हूं।’ उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर भी हमला बोला था। नीतीश ने कहा था, ‘भाजपा के कद्दावर नेताओं लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी केा पार्टी के अंदर ही दरकिनार कर दिया गया। अब यह दल (भाजपा) ऐसे व्यक्ति के हाथ में चला गया है, जिनका धर्मनिरपेक्षता और सांप्रदायिक सौहार्द में कोई विश्वास नहीं है।’ नीतीश कुमार वर्ष 2014 के लोकसभा चुनावों से पहले नरेंद्र मोदी को भाजपा नेतृत्व सौंपने को लेकर राजग से नाता तोड़ लिया था। बिहार विधानसभा चुनावों के दौरान उनकी पार्टी जदयू ने लालू यादव की पार्टी राष्ट्रीय जनता दल (राजद) और कांग्रेस से गठजोड़ किया था। महागठबंधन को प्रचंड बहुमत मिला था। बाद में नीतीश कुमार ने महागठबंधन से नाता तोड़ कर वापस राजग में शामिल हो गए थे। पार्टी के वरिष्ठ नेता शरद यादव ने नीतीश कुमार के इस कदम का विरोध किया था।