सैंडिस कंपाउंड स्टेडियम बना थियेटर, सम्मान समारोह के साथ हुआ कोर्ट मार्शल नाटक का मंचन

भागलपुर के सैंडिस कंपाउंड स्टेडियम में पुलिस ने एक मिसाल कायम की। कम्यूनिटि पुलिसिंग भागलपुर और संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार की पहल पर स्टेडियम ओपेन थियेटर में तब्दील हो गया। इनकी सांस्कृतिक सौंदर्यबोध ने एक वानगी पेश की। एक तरफ सम्मान तो दूसरी तरफ कोर्ट मार्शल। दरअसल कम्यूनिटि पुलिसिंग भागलपुर द्वारा बीते दो महीने से शैक्षणिक कार्यक्रम चलाया जा रहा था। जिसमें गरीब प्रतियोगी इम्तहान की तैयारी करने वाले 500 से ज्यादा छात्रों को दारोगा बनने के गुर सिखाए गए। और यहां के टीचरों व पुलिस महकमा के ज्ञानी व माहिर लोगों ने इम्तहान में सफल होने का ज्ञान दिया। इसी के तहत आखिरी रोज एक साथ दो शानदार कार्यक्रम का आगाज किया गया। पहला छात्रों, शिक्षकों और पुलिसकर्मियों का सम्मान और दूसरा संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार की ओर से नाटय संस्था आलय ने स्वदेश दीपक लिखित नाटक कोर्ट मार्शल का मंचन किया।

नाटक का निर्देशन कुमार चैतन्य प्रकाश ने किया और मंच संचालन सोमनाथ आर्य ने किया। स्वदेश दीपक के लगभग सभी नाटकों में ज्वलंत सामाजिक विद्रूप का चित्रण मिलता है और कोर्टमार्शल भी इससे अछूता नहीं है। ’कोर्ट मार्शल’ जैसा कि इसके नाम से ही स्पष्ट है, सेना और उसके नियम कायदे कानून के इर्द-गिर्द घूमता नाटक है। ’’संसार में किसी भी सभ्य देश की सेना में गंभीर अपराध करने पर कोर्टमार्शल होता है। कोर्टमार्शल के निर्णय के विरुद्ध किसी सिविल कोर्ट में अपील नहीं की जा सकती। एक सीनियर अफसर कोर्टमार्शल का सभापति जज, प्रीजाईडिंग अफसर होता हैं। उसके साथ दो या दो से अधिक जज होते हैं। जिनका काम लगभग ज्यूरी-जैसा होता है। निर्णय देते समय इन जजों के मत बराबर हों। टाईवोट की स्थिति में प्रीजाईडिंग अफसर अपना निर्णायक मत देते है। ताकि कोर्टमार्शल सही ढंग से हो। सेना के कानून विभाग की तरफ से जज-वकील सलाहकार जज भेजा जाता है। जो जरूरत पड़ने पर सभापति जज को सलाह दे सकता है। शेष कार्यवाही लगभग किसी भी सिविल कोर्ट की तरह होती है। मसलन एक सरकारी वकील, एक बचाव पक्ष का वकील और गवाह बगैरह।

यह दोनों वकील भी प्रायः सेना के कानून विभाग से भेजे जाते हैं। यह नाटक न केवल भारतीय व्यवस्था के आधारभूत ढाँचे सेना के भीतर की शिनाख्त करता है बल्कि भारतीय समाज के एक बहुत बड़े विमर्श को भी बखूबी बयान करता है। वह बड़ा विमर्श कह लें या सच कह लें। यह है कि स्वतंत्रता के 70 साल बाद भी सामाजिक भेदभाव, जातिगत श्रेष्ठता की भावना ज्यों-की-त्यों बनी है। शक्तिशाली वर्ग चाहे वह किसी भी दृष्टि से शक्तिशाली हो, निर्बल को अपना निशाना बनाता ही है। सामाजिक व्यवस्था की बुनावट ही ऐसी है कि निर्बल न्याय की लड़ाई नहीं लड़ पाता। इसका सबसे बड़ा उदाहरण यह है कि संविधान द्वारा लोकतांत्रिक शासन-पद्धति की स्थापना के बावजूद भी सामंतवादी मानसिकता को आज तक समाज में जड़ से नहीं उखाड़ा जा सका। लेखक ने नाटक के माध्यम से इस सामंतवादी व्यवस्था से लड़ने का एक बड़ा काम किया है। दलित वर्ग की आवाज सारे नियम-कानूनों के बावजूद वहाँ तक नहीं पहुँच पाती, जहाँ पहुँचकर उसकी आवाज को न्याय मिल सकता है। न्याय तक ले जाने वाले रास्ते में अनेक पड़ाव होते हैं। जिन्हें पार करना किसी आम नागरिक के लिए सहज नहीं होता। नतीजतन जब अन्याय असहनीय हो जाता है, तो ऐसा उबाल आता है कि न्याय के सभी बंधन टूट जाते हैं। कोर्टमार्शल कहीं न कहीं उसी उबाल का ज्वलंत मिसाल है।

भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय ने एसएसपी समेत 6 लोगों को सम्मानित किया। बिहार में पूर्ण शराबबंदी के तहत जनजागरुकता को फैलाने वाले नुक्कड़ नाटक को कुल छह सम्मान प्राप्त हुआ। स्थानीय सैंडिस कंपाउंड के ओपेन थियेटर में कम्यूनिटि पुलिंसग भागलपुर और संस्कृति मंत्रालय के तत्वावधान में आयोजित सम्मान समारोह में कई दिग्गजों को रंगकर्म के क्षेत्र में सम्मानित किया गया। जिसमें संस्कृति मंत्रालय ने दस्तक नाटक की परिकल्पना और रुपरेखा तैयार करने वाले भागलपुर के एसएसपी मनोज कुमार, नाटक के लेखक सोमनाथ आर्य, निर्देशक कुमार चैतन्य प्रकाश सह निर्देशक विक्रम, संगीत प्रदान करने वाले प्रतीक प्रकाश, समन्वय अजीत कुमार को संस्कृति मंत्रालय द्वारा विशेष सम्मान से सम्मानित किया गया।

इसी आयोजन में अव्वल 10 छात्रों को भी सम्मानित किया गया। छात्रों को यह सम्मान संयुक्त तौर पर भागलपुर के सीनियर एसपी मनोज कुमार और भागलपुर विश्वविद्यालय के कुलपति नलिनीकांत झा, के हाथों प्रदान किया गया। गौरतलब है कि कम्यूनिटी पुलिसिंग के द्वारा 4 फरवरी 2018 को आयोजित सुपर 100 यूनिट टेस्ट का आयोजन सेंडिस कंपाउंड स्थित ओपेन थियेटर में किया गया था। जिसमें 613 छात्र-छात्राओं ने हिस्सा लिया था। पिछली परीक्षा की तुलना में इस बार सर्वाधिक छात्रों ने बेहतरीन प्रदर्शन किया। 60 फीसदी प्रतिभागी छात्रो ने बेहतरीन प्रदर्शन किया और अन्य छात्रों का भी संतोषजनक रहा। अव्वल 10 छात्रों में रुपेष कुमार सिंह, मिटठू कुमार रॉय, मिथुन कुमार मंडल, संजय कुमार पंडित, राजीव कुमार सिंह, गोपाल शर्मा, विपीन प्र्रसाद सिंह, सानू कुमार मंडल, मुकेश कुमार साह और राकेश कुमार थे। शिक्षकों को भी गुरुदेव सम्मान।

चेतना सर्विंग हम्यूनिटि सर्विग की सचिव और जानी मानी सामाजिक कार्यकर्ता चेतना त्रिपाठी सिंह, और मारवाडी कॉलेज के प्राचार्य गुरुदेव पोद्दार, जाने-माने चिकित्सक डॉ. डीपी सिंह व डॉ हेमशंकर शर्मा ने किया। सम्मानित होने वाले शिक्षकों में राजेंद्र कुमार चंद्रवंशी, (डीएओं) शंभूनाथ सुधाकर, (डीईओ) राजीव भगत, ( एसडीओ, जल संसाधन) डॉ राजीव कुमार सिंह, (प्रोफेसर, टीएनबी कॉलेज) सुनील कुमार, ( सुनील ट्रीक्स) रामानंद कुमार कौशल (कहलगांव, डीएसपी)राजेश कुमार सिंह प्रभाकर, (डीएसपी, लॉ एंड ऑडर), शहरयार अख्तर, (डीएसपी टॉउन) रमेश कुमार, (डीएसपी हेड र्क्वाटर), नीलकमल मिश्रा (उत्पाद विभाग, एसआई) अजय कुमार (केमेस्ट्री टीचर) और रविकांत घोष( कॅरियर पॉइंट) और आईटी हेड अजीत कुमार।
पुलिसकर्मियों को भी मिला। समारोह में कई पुलिसकर्मियों को भी सम्मानित किया गया। जिसमें मोहम्मद ईमामउल्लाह (सदर इंस्पेक्टर) अमरनाथ प्रसाद (इंस्पेक्टर ततारपुर) पंकज सिंह (इंस्पेक्टर), समरेंद्र कुमार (थाना प्रभारी विष्वविद्यालय), रंजन कुमार,( थाना प्रभारी जीरो माईल), अमर कुमार (ट्रैफिक प्रभारी,) संजय कुमार सत्यार्थी (तिलकामांझी थाना प्रभारी ) और सुबोध पंडित (थाना प्रभारी सजौर)।

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