जल शुल्क जमा न करने वालों पर चलेगा डंडा

उप्र में भाजपा सरकार आने के बाद बकाया वसूली के लिए शुरू हुई सख्ती के चलते प्राधिकरण ने पहली बार जल शुल्क के बकाएदारों की सूची जारी की है। इसके अनुसार जल शुल्क का 28.64 करोड़ रुपए आबंटियों पर बकाया है। बकाएदारों को प्राधिकरण ने भुगतान के लिए एक सप्ताह का समय दिया है। खास बात यह है कि अकेले तीन बकाएदारों पर ही जल शुल्क की करीब 21 करोड़ रुपए देनदारी है। इन आबंटियों ने जल शुल्क के मद में प्राधिकरण को एक रुपए का भी भुगतान नहीं किया है। अफसरों ने तय समय में भुगतान नहीं करने वाले आबंटियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की चेतावनी दी है।

प्राधिकरण के जल विभाग ने बकाएदारों को दो श्रेणी में विभाजित किया है। पहली श्रेणी में 5 लाख रुपए से अधिक के जल शुल्क बकाएदार हैं। इनमें सबसे ऊपर की तीन कंपनियों पर ही करीब 21 करोड़ रुपए की देनदारी है। आईआरपीपीएल (व्यावसायिक) पर 11.62 करोड़, ग्रेनाइट ग्रेट प्रॉपर्टी पर 7.79 करोड़ रुपए और फोनेट कंसलटेंट प्रा. लि. पर 2.19 करोड़ रुपए का जल शुल्क बकाया है।

इसके अलावा 5 लाख रुपए से ज्यादा वाले 22 अन्य बकाएदार भी हैं। 5 लाख रुपए से कम जल शुल्क वाले बकाएदारों की सूची में आबंटियों पर 4.36 करोड़ रुपए बकाया है। जल विभाग के अफसरों के अनुसार कनेक्शन लेने के बाद चंद बिल का भुगतान करने के बाद ज्यादातर आबंटियों ने शुल्क देना बंद कर दिया है।

वहीं दिल्ली की तर्ज पर नोएडा के आवासीय सेक्टरों में चल रही व्यावसायिक गतिविधियां करने वालों के प्रतिष्ठान सील करने की तैयारी है। 2012 में शहर में चले सीलिंग अभियान के आधार पर एक सूची तैयार की जा रही है। बताया गया है कि उल्लंघन करने वाले आबंटियों को नोटिस भेजकर गतिविधि बंद करने का एक मौका दिया जाएगा। बंद नहीं करने पर प्रतिष्ठान सील किया जाएगा। दिसंबर 2011 में सुप्रीम कोर्ट ने रिहायशी सेक्टरों में चल रहे बैंकों को वाणिज्यिक गतिविधि मानते हुए दो महीने का समय दिया था। दो महीने बाद प्राधिकरण दस्ते ने 21 बैंक शाखाओं को सील किया था। उसके बाद प्राधिकरण ने 104 शाखाओं के लिए 74 भूखंड की योजना निकाली थी।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *