यमुना एक्सप्रेस के 8 बिल्डर ऑडिट जांच में घिरे, निवेशकों के 840 करोड़ रुपए दूसरी जगह खपाए
नोएडा की तर्ज पर यमुना एक्सप्रेस वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण में भी ऑडिट जांच में 8 बिल्डरों की गड़बड़ी पकड़ी गई है। इन बिल्डरों ने खरीदारों के 840 करोड़ रुपए परियोजना में ना लगाकर अन्यत्र खर्च किए हैं। प्राधिकरण ने ऐसे सभी बिल्डरों को नोटिस जारी कर 30 दिन के भीतर एस्क्रो खाता खोलकर अन्य खर्च की गई रकम को जमा कराने के निर्देश दिए हैं। एक महीने में रकम नहीं जमा कराने वाले बिल्डरों के खिलाफ आरसी जारी कर एफआईआर दर्ज कराई जाएगी। ऑडिट गड़बड़ी में फंसे 8 समेत सभी 28 बिल्डरों को यमुना प्राधिकरण ने बकाया राशि जमा कराने के लिए नोटिस भेजे हैं।
यमुना एक्सप्रेस वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण ने बिल्डर परियोजनाओं का ऑडिट बहुराष्ट्रीय एजेंसी के बजाए खुद कराया है। अपर मुख्य कार्यपालक अधिकारी अमरनाथ उपाध्याय की अध्यक्षता वाली ऑडिट कमेटी ने 12 फरवरी को रिपोर्ट सीईओ डॉ. अरुण वीर सिंह को सौंपी है। रिपोर्ट के मुताबिक यमुना एक्सप्रेस वे इलाके में 28 बिल्डरों को भूखंड आवंटित किए हैं। जिसमें प्राधिकरण ने फ्लैट व भूखंड मिलाकर 33694 इकाई (यूनिट) के नक्शे स्वीकृत किए हैं।
खरीदारों ने 12872 फ्लैट और भूखंडों की बुकिंग कराई थी। जांच में 8 बिल्डरों पर खरीदारों की रकम को अन्यत्र इस्तेमाल किए जाने का पता चला है। इन बिल्डरों पर प्राधिकरण की धनराशि भी बकाया है। सभी 28 बिल्डरों पर प्राधिकरण का करीब 3514 करोड़ रुपए बकाया है। ऑडिट रिपोर्ट मिलने पर सीईओ ने चिन्हित 8 बिल्डरों को नोटिस जारी कर एक महीने में एस्क्रो खाते में अन्यत्र खर्च हुई रकम को जमा कराने के निर्देश दिए हैं। उप्र की योगी सरकार ने बिल्डरों की मनमानी पर अंकुश लगाने के लिए नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना एक्स्प्रेस वे इलाके की परियोजनाओं का आडिट कराने को कहा था।
नोएडा में बहुराष्ट्रीय कंपनी करी एंड ब्राउन बिल्डरों का आडिट कर रही है। जबकि यमुना एक्सप्रेस वे प्राधिकरण ने अपने स्तर पर ही आडिट कराया है। आडिट गड़बड़ी में पकड़े गए बिल्डरों में लाजिक्स, ग्रीन वे, सन वर्ल्ड, थ्री सी, सुपटेक आदि नामचीन बिल्डर शामिल हैं।