शोषण और शर्मिंदगी से परेशान ट्रांसजेंडर ने राष्ट्रपति को लिखा खत, मांगी इच्छामृत्यु
शोषण और शर्मिंदगी से परेशान होकर तमिलनाडु की एक ट्रांसजेंडर ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को पत्र लिखकर अपने लिए इच्छामृत्यु मांगी है। साल 2014 में अप्रैल महीने में सुप्रीम कोर्ट ने ऑर्डर दिया था कि ट्रांसजेंडर समुदाय को आधिकारिक दस्तावेजों में ‘थर्ड जेंडर’ के रूप मान्यता दी जाए, जिसके बाद ऐसा लगा था कि जेंडर के आधार पर होने वाला भेदभाव खत्म हो जाएगा, लेकिन सच्चाई इससे कुछ अलग ही दिख रही है। समाज में अभी भी ट्रांसजेंडर्स के साथ उस तरह का बर्ताव नहीं हो रहा है, जैसी उम्मीद थी।
इंडिया टुडे के मुताबिक राष्ट्रपति से इच्छामृत्यु की मांग करने वाली इस ट्रांसजेंडर महिला का जन्म पुरुष के रूप में हुआ था। साल 2010 में इंजीनियरिंग की डिग्री पाने के बाद उसने कस्टमर सपोर्ट एग्जीक्यूटिव के तौर पर एयर इंडिया ज्वॉइन कर ली। एक साल तक एयर इंडिया में काम करने के बाद उसने सर्जरी करवाई और तमिलनाडु के राजपत्र में अपना नाम और जेंडर बदलवा दिया। सर्जरी करवाने के तुरंत बाद से ही उसकी परीक्षा शुरू हो गई। उसने एयर इंडिया में केबिन क्रू के लिए आवेदन दिया। पद के लिए योग्य होने के बाद भी उसका आवेदन खारिज कर दिया गया। इसका कारण था कि वह एक महिला ट्रांसजेंडर थी। उसे आवेदन खारिज किए जाने का कारण भी एयर इंडिया ने आसानी से नहीं बताया। एयर इंडिया से जवाब मांगने के लिए उसे सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ा।
तमिलनाडु की इस ट्रांसजेंडर महिला के लिए अपना जीवनयापन करना अब मुश्किल होता जा रहा है, जिसके चलते उसने राष्ट्रपति से इच्छामृत्यु की मांग की है। उसने अपने पत्र में लिखा, ‘एयर इंडिया द्वारा मेरा आवेदन खारिज किए जाने के बाद मैंने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। बहुत सारी परेशानियों का सामना करते हुए मैंने इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की थी। मैं चेन्नई में कस्टमर सपोर्ट एग्जीक्यूटिव के तौर पर एयर इंडिया में काम कर रही थी। मैंने वहां एक साल तक काम किया, उसके बाद मैंने एसआरएस सर्जरी करवाई। मैंने अपना नाम और जेंडर भी तमिलनाडु के राजपत्र में बदलवाया। अब पिछले दो सालों में मैंने चार बार एयर इंडिया के कैबिन क्रू- फीमेल की पोस्ट के लिए आवेदन दिया, लेकिन चारों ही बार मेरा नाम फाइनल लिस्ट में शामिल नहीं किया गया। मेरा नाम क्यों काटा जा रहा था मुझे इसकी जानकारी नहीं थी। इसका जवाब पाने के लिए मैंने एयर इंडिया और नागरिक उड्डयन मंत्रालय से काफी मुश्किलों के बाद संपर्क साधा। मुझे जवाब मिला कि उनकी पॉलिसी में ‘ट्रांसजेंडर’ के लिए कोई वर्ग नहीं है।’
उसने आगे लिखा, ‘सारी योग्यताएं होने के बाद भी मेरा आवेदन केवल इसलिए खारिज किया जा रहा है क्योंकि मैं एक ट्रांसजेंडर हूं। मैंने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। सुप्रीम कोर्ट ने मंत्रालय और एयर इंडिया को 6 नवंबर 2017 तक जवाब देने को कहा, लेकिन अभी तक उनकी ओर से मुझे कोई जवाब नहीं मिला। मुझे जीवनयापन करने में बहुत मुश्किल हो रही है। मेरे पास खाने तक के पैसे नहीं हैं। इसलिए मैं आपसे इच्छामृत्यु की मांग कर रही हूं।’