असम में क्रैश हुआ वायुसेना का हेलिकॉप्टर, 2 पायलटों की मौत
असम में भारतीय वायुसेना का एक हेलिकॉप्टर दुर्घटनाग्रस्त हो गया है। इसमें माइक्रोलाइट हेलिकॉप्टर में सवार दो पायलट मारे गए हैं। यह दुर्घटना गुरुवार (15 फरवरी) को माजुली द्वीप के सुमोयमारी चापोरी इलाके में हुई। स्थानीय पुलिस ने इसकी पुष्टि करते हुए बताया कि रक्षा विभाग और वायुसेना के जवान माजुली से होकर गुजर रहे थे, जब यह दुर्घटना हुई। पुलिस अधिकारी ने बताया कि शुरुआती रिपोर्ट में तकनीकी दिक्कतों के कारण दुर्घटना होने की बात सामने आई है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, वायुसेना के हेलिकॉप्टर ने दोपहर बाद तकरीबन 1:30 बजे जोरहट (असम) के रॉविराह हवाई अड्डे से अरुणाचल प्रदेश के लिए उड़ान भरा था, लेकिन ब्रह्मपुत्र नदी में स्थित माजुली द्वीप पर दुर्घटना का शिकार हो गया। माइक्रोलाइट हेलिकॉप्टर का इस्तेमाल आमतौर पर जवानों और लाने-ले जाने और निगरानी में किया जाता है।
अरुणाचल प्रदेश में पिछले साल अक्टूबर में वायुसेना का एक हेलिकॉप्टर क्रैश हो गया था। इसमें सेना के सात जवानों की मौत हो गई थी। वह रूस निर्मित एमआई-17 श्रेणी का हेलिकॉप्टर था। चीन की सीमा से लगते तवांग जिले में दुर्घटना होने के कारण इसको लेकर कई सवाल उठने लगे थे। वायुसेना के हेलिकॉप्टर ने तवांग के समीर खिरमू से उड़ान भर कर यांगस्ते जा रहा था। इसमें विंग कमांडर से लेकर स्क्वाड्रन लीडर तक को जान गंवानी पड़ी थी। वायुसेना और सेना के सभी जवानों के शव बरामद कर लिए गए थे। सेना एमआई-17 वी5 हेलिकॉप्टर (एमआई-8 एमटीवी5 का भारतीय संस्करण) का इस्तेमाल ट्रांसपोर्टेशन के लिए करती है। इसका उत्पादन रूसी कंपनी कजान हेलिकॉप्टर्स करती है। एमआई-17 13,000 किलोग्राम तक के वजन के साथ उड़ान भरने में सक्षम है। इसके जरिये एक बार में 36 जवानों को कहीं भी लाया या ले जाया जा सकता है। इससे पहले पिछले साल ही जुलाई में वायुसेना का एडवांस्ड लाइट हेलिकॉप्टर सांगली (महाराष्ट्र) में दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। उसमें सवार सभी चार जवानों की मौत हो गई थी। रूस निर्मित लड़ाकू विमान और हेलिकॉप्टरों के दुर्घटनाग्रस्त होने की कई घटनाएं सामने आ चुकी हैं। इससे रूसी रक्षा कंपनियों को लेकर सवाल भी उठने लगे हैं। वायुसेना को और मजबूत करने के लिए भारत ने फ्रांस से अत्याधुनिक राफेल लड़ाकू विमान खरीदने का फैसला किया है। पुराने होता भारतीय वायुसेना का बेड़ा चिंता का सबब बना हुआ है। रक्षा विशेषज्ञ कई मौकों पर इसको लेकर सवाल उठाते रहे हैं। साथ ही वायुसेना के बेड़ों का अविलंब आधुनिकीकरण करने की भी जरूरत बताई जा रही है।