एमपी गजब है! सीएम बोले- अवैध कब्जे वालों को भी मुआवजा देंगे, डीएम ने कहा- नहीं मिलेगा
मध्य प्रदेश में सरकारी जमीन पर अतिक्रमण कर खेती करने वाले किसानों को राहत देने के मामले में सरकार और प्रशासन का रवैया अलग-अलग है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने जहां ऐसे किसानों को भी बर्बाद फसल का मुआवजा देने की घोषणा की है, वहीं कलेक्टर ने सरकारी कब्जे वाली जमीन पर खेती करने वालों को मुआवजा नहीं देने की बात कही है। सीएम चौहान ने सीहोर में एक जनसभा को संबोधित करते हुए उन सभी किसानों को मुआवजा देने की बात कही, जिनका फसल खराब मौसम की भेंट चढ़ गया। उन्होंने कहा, “कुछ लोगों ने एक समस्या के बारे में बात करते हुए बताया कि अतिक्रमण की जमीन पर खेती करने वालों का क्या होगा, उनको भी राहत की राशि दी जाएगी। अगर वे गरीब हैं तो उन्हें भी वंचित नहीं रखा जाएगा। किसानों की मेहनत नाजायज कैसे हुई।” सरकारी घोषणाओं को जमीन पर उतारने वाले कलेक्टर का रवैया इसके ठीक उलट है।
छतरपुर के कलेक्टर रमेश भंडारी ने सरकारी जमीन पर खेती करने वाले किसानों को नष्ट फसल के एवज में मुआवजा देने से साफ इनकार कर दिया है। रमेश भंडारी अपने क्षेत्र में ओले के कारण नष्ट फसलों का मुआयना करने निकले थे। उन्होंने प्रभावित किसानों से बात करते हुए स्पष्ट शब्दों में कहा कि सरकारी जमीन पर कब्जा कर खेती करने वालों को मुआवजा नहीं दिया जाएगा। उन्होंने बताया कि खेतों का सर्वेक्षण कराया जाएगा और जिन किसानों की फसल तबाह हुई होगी, उन्हें पूरा मुआवजा दिया जाएगा। छतरपुर में ओलावृष्टि के कारण फसलें बर्बाद हो गईं। क्षेत्र के किसान नष्ट फसलों को ट्रैक्टर में लादकर जिला मुख्यालय पहुंच गए और अधिकारियों को ज्ञापन भी दिया। कोई सुनवाई न होने पर किसान वहीं धरने पर बैठ गए। वे अपनी मांग को लेकर एसडीएम से भी मिले, लेकिन वह किसानों की मांग पर राजी नहीं हुए। किसान प्रति हेक्टेयर 20 हजार रुपये की दर से मुआवजा की मांग कर रहे हैं। वहीं, कलेक्टर रमेश भंडारी ने स्पष्ट कर दिया कि प्रति हेक्टेयर 11 से 13 हजार रुपये मुआवजा दिया जाएगा। मध्य प्रदेश में किसानों के मुआवजे का मुद्दा ऐसे समय गरमाया है, जब इसी साल राज्य में विधानसभा चुनाव होने हैं। बता दें कि मंदसौर में किसानों का आंदोलन काफी व्यापक हो गया था। अब मुआवजे को लेकर किसान लामबंद होने लगे हैं।