पाकिस्तान का बड़ा फैसला: सऊदी अरब में करने जा रहा है सैनिकों की तैनाती
पाकिस्तान की सरकार ने अंतरराष्ट्रीय कूटनीतिक दृष्टि से एक बड़ा फैसला लिया है। अपनी नीति में बड़ा बदलाव करते हुए पाकिस्तान ने सऊदी अरब में सैनिकों को द्विपक्षीय सुरक्षा सहयोग के तहत तैनात करने का निर्णय किया है। रावलपिंडी सेना मुख्यालय में सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा और पाकिस्तान में सऊदी के राजदूत नवाफ सईद अल-मलिकी के बीच बैठक के बाद पाकिस्तान की सेना ने यह घोषणा की। सेना ने कहा, ‘‘पाकिस्तान-सऊदी द्विपक्षीय सुरक्षा सहयोग को जारी रखते हुए पाकिस्तानी सेना के एक दल को प्रशिक्षण और विचार-विमर्श के मिशन पर सऊदी अरब भेजा जा रहा है। वहां पहले से मौजूद सैनिकों को सऊदी अरब से बाहर तैनात नहीं किया जाएगा।’’ इन्होंने कहा कि सेना ‘‘कई अन्य खाड़ी एवं क्षेत्रीय देशों के साथ द्विपक्षीय सुरक्षा सहयोग बनाए हुए है।’’ सेना ने कहा कि बाजवा और राजदूत के बीच बैठक में परस्पर हित के मामलों के साथ ही क्षेत्रीय सुरक्षा की स्थिति पर चर्चा की गई।अधिकारियों के मुताबिक सऊदी अरब में विभिन्न सलाह-मशविरा एवं प्रशिक्षण भूमिकाओं में करीब एक हजार पाकिस्तानी सैनिक तैनात हैं।डॉन अखबार ने सेना के प्रवक्ता मेजर जनरल आसिफ गफूर के हवाले से बताया कि नयी तैनाती एक डिविजन से काफी कम होगी और इसका ब्योरा वह बाद में देंगे।”
बता दें कि यमन के गृहयुद्ध में फंसे सऊदी अरब को इस वक्त सैन्य सहायता की गंभीर जरूरत है। सऊदी अरब जब 2015 में यमन के गृहयुद्ध में शामिल हुआ। उसी वक्त शासकों ने पाकिस्तान से सैन्य मदद मांगी थी। लेकिन तब पाकिस्तान ने इससे इनकार कर दिया था। कहा था किसी भी क्षेत्रीय युद्ध में पार्टी नहीं बनेगा। तब इस बात को लेकर सऊदी अरब और पाकिस्तान के संबंधों में भी खटास आ गई थी। हालांकि अमेरिका और पाकिस्तान के बीच बिगड़ते संबंधों के बाद पाकिस्तान का सऊदी अरब के साथ मेलजोल उसकी रणनीतिक मजबूरी भी है। इधर यमन में गृहयुद्ध खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। यमन की विद्रोही सेनाएं अब सऊदी अरब पर रह रहकर मिसाइल हमले कर रही हैं। इस लिहाज से शासकों को चिंता हो रही है। इसी महीने पाकिस्तान के आर्मी चीफ कमर जावेद बाजवा ने तीन दिनों की सऊदी अरब की यात्रा की थी और सरकारी अधिकारियों समेत क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिल सलमान और थल सेना के कमांडर प्रिंस फहद बिन तुर्की बिन अब्दुल अजीज से मिले थे।