कश्मीर के युवक बंदूकों को त्याग दें वरना सेना की हजारों बंदूकों का करना होगा सामना: महबूबा मुफ्ती
जम्मू एवं कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने रविवार को कहा कि युवकों को बंदूकें त्याग देनी चाहिए, अन्यथा उन्हें सुरक्षाबलों की ऐसी हजारों बंदूकों का सामना करना पड़ेगा। महबूबा ने दक्षिण कश्मीर के कुलगाम जिले में एक सरकारी कार्यक्रम से इतर एक सार्वजनिक सभा को संबोधित करते हुए कहा, “मैं आज आप के साथ दिल से बात करने आई हूं।”
उन्होंने कहा, “कल मैं सत्ता में रहूं या न रहूं, लेकिन जबतक आप अपने बच्चों को बंदूकें छोड़ने के लिए राजी नहीं करते, तबतक उन्हें सुरक्षा बलों की हजारों बंदूकों का सामना करना पड़ेगा। मुख्यमंत्री ने कहा, “हिंसा से हमें कुछ नहीं मिलेगा। यदि घाटी में हिंसा बढ़ती है तो सुरक्षा बलों के शिविर बढ़ जाएंगे और हमें उन शिविरों को हटाने में सैकड़ों साल लग जाएंगे।”
महबूबा ने कहा कि यदि शांति की उनकी पहल को जनता का पर्याप्त समर्थन मिलता है तो उनकी सरकार नियंत्रण रेखा के उस पार और अधिक मार्ग खुलवाने का प्रयास करेगी। शोपियां, अनंतनाग और पुलवामा जिलों के साथ ही कुलगाम पिछले तीन वर्षो के दौरान आतंकवाद के लिए कुख्यात रहा है।
गौरतलब है कि घाटी के युवा सेना पर एक के बाद एक हमला कर रहे है। वहीं आतंकियों के निशाने पर भी घाटी हमेशा रहती है। सप्ताह पहले ही सेना की वर्दी में आए जैश-ए-मोहम्मद के आतंकियों ने शनिवार तड़के यहां एक सैन्य शिविर पर धावा बोल दिया। इस हमले में दो सैनिक शहीद हो गए और महिलाओं, बच्चों सहित नौ अन्य लोग घायल हो गए। आतंकियों ने फैमिली क्वार्टर में घुसकर सो रहे लोगों पर गोलीबारी की, और गोले फेंके। शहीदों में सेना का एक जूनियर कमीशंड अधिकारी भी शामिल है। खबर लिखे जाने तक तीन आतंकियों को मार गिराया गया था, जबकि अन्य अभी भी छिपे हुए हैं। शहीद जवानों की पहचान जूनियर कमीशंड अधिकारी (जेसीओ) मदन लाल चौधरी और गैर कमीशंड अधिकारी (एनसीओ) अशरफ अली के रूप में हुई है। दोनों जम्मू एवं कश्मीर से ही थे।