नीतीश सरकार का फरमान- चप्पल पहनकर देनी होगी मैट्रिक परीक्षा, जूता-मोजा पर रोक
नीतीश कुमार के शासन में बिहार विद्यालय परीक्षा समिति ने मैट्रिक परीक्षा के मद्देनजर नया फरमान जारी किया है। समिति के नए आदेश के मुताबिक, परीक्षार्थियों को परीक्षा केंद्र पर चप्पल पहनकर ही जाना होगा। अगर जूता-मोजा पहनकर परीक्षार्थी गए तो उन्हें वापस कर दिया जाएगा या जूता उतरवा दिया जाएगा। परीक्षा में नकल रोकने के लिए परीक्षा समिति ने यह कदम उठाया है। समिति के अध्यक्ष आनंद किशोर ने रविवार को यह जानकारी दी है। उन्होंने बताया कि पहले भी राज्यस्तरीय प्रतियोगी परीक्षाओं में जूता-मोजा पर बैन लगाया जाता रहा है। लिहाजा, उसके अनुरूप ही समिति ने मैट्रिक परीक्षा में भी जूता-मोजा पर प्रतिबंध लगाने और सिर्फ चप्पल पहनकर परीक्षा दिलवाने का फैसला किया है। बता दें कि राज्य में 21 से 28 फरवरी तक दो पालियों में मैट्रिक की परीक्षा होगी।
इस परीक्षा के लिए राजधानी पटना समेत पूरे राज्य में कुल 1426 परीक्षा केंद्र बनाए गए हैं। इस बार लगभग 17.70 लाख परीक्षार्थी मैट्रिक की परीक्षा में शामिल होंगे। राजधानी पटना में ही 82.50 हजार परीक्षार्थियों के लिए 74 परीक्षा केंद्र बनाए गए हैं। इसके साथ ही सभी जिलों में बिहार विद्यालय परीक्षा समिति ने पांच-पांच मॉडल परीक्षा केंद्र बनाए हैं, जहां केंद्राधीक्षक, वीक्षक, दंडाधिकारी, पदाधिकारी, अन्य परीक्षाकर्मी और पुलिसकर्मी सभा महिलाएं होंगी। इस तरह के केंद्रों पर विशेष व्यवस्था की गई है।
गौरतलब है कि राज्य में हाल ही में इंटरमीडिएट की परीक्षा संपन्न हुई है। इस परीक्षा के दौरान कई प्रश्न पत्र आउट हुए थे और सोशल मीडिया पर वायरल भी हुए थे। इसके बाद समिति ने कई परीक्षा केंद्रों पर परीक्षा रद्द कर दी थी और पुनर्परीक्षा के आदेश दिए थे। बता दें कि हाल के कुछ वर्षों में बिहार विद्यालय परीक्षा समिति की साख पर सवाल खड़े हुए हैं। दो साल लगातार फर्जी मेरिटधारियों को बोर्ड टॉपर बनाया जाता रहा है। इससे पहले के बोर्ड अध्यक्ष इसी मेरिट घोटाले में इन दिनों जेल में बंद हैं। उनके अलावा कई लोग जो इस रैकेट में शामिल रहे हैं, वो भी जेल की हवा खा रहे हैं। बोर्ड के मौजूदा अध्यक्ष भले ही कदाचार मुक्त परीक्षा के आयोजन की कोशिश कर रहे हों, मगर एक सच यह भी है कि राज्यों के स्कूलों में पठन-पाठन का स्तर गिर चुका है।