PNB घोटाला: सीवीसी ने पूछा- नियमों के बावजूद कैसे हुआ घोटाला? केंद्र और बैंक से दस दिनों में मांगी रिपोर्ट
भारतीय इतिहास के सबसे बड़े बैंकिंग घोटाले में अब केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) ने केंद्र और PNB से 10 दिनों के अंदर रिपोर्ट देने को कहा है। केंद्रीय सतर्कता आयोग केवी. चौधरी ने PNB और वित्त मंत्रालय के शीर्ष अधिकारियों के साथ बैठक कर ब्यौरा पेश करने का निर्देश दिया है। ‘डीएनए’ की रिपोर्ट के अनुसार, बैठक में PNB के अधिकारियों ने सीवीसी को अब तक की कार्रवाई के बारे में जानकारी दी। आयोग ने घोटाले में शमिल अधिकारियों के साथ ही उन अफसरों का नाम भी उजागर करने को कहा जो इस फर्जीवाड़े को रोक सकते थे। सीवीसी ने PNB और वित्त मंत्रालय के अधिकारियों से पूछा कि तमाम तरह के नियम-कायदे होते हुए भी घोटाला कैसे हो गया? आयोग ने इस पर दस दिनों के अंदर रिपोर्ट पेश करने को कहा है। इस बैठक में सतर्कता आयुक्त टीएम भसीन भी मौजूद थे। हीरा व्यवसायी नीरव मोदी और मेहुल चोकसी ने PNB अधिकारियों के साथ मिलकर फर्जी दस्तावेज के आधार पर लेटर ऑफ अंडरटेकिंग (एओयू) जारी करा लिया था। इसके जरिये बैंकों को 11,400 करोड़ रुपये का चूना लगाया गया। हालांकि, जांच एजेंसी ने घोटाले की रकम इससे कहीं ज्यादा होने का अंदेशा जताया है। सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) घोटाले की जांच में जुटे हैं। सीबीआई ने सोमवार (19 फरवरी) को भी नीरव मोदी और चोकसी समेत अन्य आरोपियों के ठिकानों और स्टोर पर छापे मारे। ईडी के अधिकारियों ने इलाहाबाद बैंक के पूर्व निदेशक दिनेश दुबे के आवास पर भी दबिश दी। एजेंसी अब तक देशभर के 20 शहरों के 50 से ज्यादा ठिकानों पर छापे मार चुकी है।
नकली हीरे बेचते थे मेहुल चोकसी: मेहुल चोकसी को लेकर सनसनीखेज खुलासा हुआ है। चोकसी की कंपनी गीतांजलि जेम्स के पूर्व प्रबंध निदेशक संतोष श्रीवास्तव ने कंपनी पर नकली हीरे बेचने का आरोप लगाया है। ‘मनीकंट्रोल’ की रिपोर्ट के अनुसार, संतोष ने बताया कि लैब में विकसित हीरों को भी ऊंची कीमतों पर बेचा जाता था। उन्होंने कहा, ‘ब्रांड वैल्यू के नाम पर हीरों को प्रीमियम बताकर बेचा जाता था। इसके लिए फर्जी तरीके से प्रमाणपत्र हासिल किए जाते थे। जिन हीरों को ग्रेड-ए के तहत बेचा जाता था वे हकीकत में ग्रेड-सी के होते थे। जिन हीरों को उत्कृष्ट और दुर्लभ कह कर बेचा जाता था, दरअसल उन्हें लैब में विकसित किया जाता था। उन हीरों को जिस कीमत पर बेचा जाता था, हकीकत में उसका वास्तविक मूल्य उसका 5 से 10 फीसद तक होता था।’ संतोष ने वर्ष 2013 तक गीतांजलि जेम्स में रीटेल बिजनेस हेड के तौर पर काम किया था। गीतांजलि जेम्स के देशभर में लाखों-करोड़ों ग्राहक हैं।
ताइवान, हांगकांग और दुबई से भी जुड़े तार: PNB घोटाले के तार ताइवान, हांगकांग और दुबई से जुड़ गए हैं। ‘बिजनेस स्टैंडर्ड’ की रिपोर्ट के अनुसार, PNB के कुछ अधिकारियों ने नीरव मोदी के प्रभाव में आकर फरवरी में एक सप्ताह से भी कम समय में हांगकांग की कुछ कंपनियों को 45 मिलियन डॉलर (290 करोड़ रुपये) का भुगतान किया था। इन कंपनियों के मालिक सूरत, ताइपे, दुबई और और हांगकांग तक में फैले हुए हैं। बता दें कि हांगकांग स्थित भरतीय बैंकों की शाखाओं द्वारा कुछ कंपनियों को भुगतान किया गया था। इन कंपनियों के बारे में ज्यादा ब्यौरा भी उपलब्ध नहीं है। ये कंपनियां ईडी और सीबीआई के रडार पर हैं। ऐसी की एक कंपनी की पहचान औरा जेम्स के तौर पर की गई है। यह हांगकांग में स्थित है, जिसे भारतीय नागरिक शैलेष सोनू मेहता दुबई से संचालित करते हैं। हांगकांग में ही स्थित साइनो ट्रेडर्स को भी नीरव मोदी की कंपनी द्वारा भुगतान किया गया था। ताइवानी नागरिक मिन तुंग ली इसके मालिक हैं।
सुप्रीम कोर्ट पहुंचा मामला: PNB घोटाले का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। शीर्ष अदालत में याचिका दायर कर देश के सबसे बड़े बैंकिंग घोटाले की जांच के लिए विशेष जांच दल (एसआईटी) गठित करने की मांग की है। याचिका पर सुनवाई की तिथि तय नहीं की गई है। PNB ने इस मामले में दो शिकायत दर्ज कराई है, जिनमें नीरव मोदी, उनके परिवार के सदस्यों और गीतांजलि जेम्स के मालिक मेहुल चोकसी को आरोपी बनाया गया है। इस बीच, सीबीआई ने PNB के मुंबई स्थित एमसीबी ब्रैडी हाउस ब्रांच को सोमवार (19 फरवरी) को सील कर दिया। हजारों करोड़ रुपये के घोटाले को इसी शाखा से अंजाम दिया गया था।