एक बुजुर्ग दंपती का सम्मानजनक तरीके से’’ जान देने का ये अजीब तरीका
राष्ट्रपति से जीवनलीला समाप्त करने की अनुमति मांगने वाले एक बुजुर्ग दंपती ने ‘‘सम्मानजनक तरीके से’’ जान देने का फैसला किया है। पत्नी ने पति से कहा है कि पहले वह उसका गला घोंट दे और फिर कहे कि उस अपराध के लिए उसे फांसी दे दी जाए। 78 वर्षीय इरावती लवाते ने आज बताया कि उसने निर्देश लिख दिए हैं। लवाते और उनके पति नारायण (87) ने दिसंबर में राष्ट्रपति रामनाथ कोंविद को पत्र लिख कर इच्छामृत्यु या दया मृत्यु की अनुमति मांगी थी।
इरावती ने कहा कि उसे लगता है कि अनुमति नहीं मिलेगी इसलिए उसने योजना बनाने का फैसला किया। ‘‘मैंने दो गवाहों की मौजूदगी में मराठी में पत्र लिखा है। मेरे पति ने हम दोनों के लिए इच्छामृत्यु या दया मृत्यु की मांग की थी लेकिन लगता है कि राष्ट्रपति हमारा अनुरोध नहीं सुनेंगे। इसलिए हमने सम्मानजनक तरीके से अपनी जीवनलीला समाप्त करने का फैसला किया है। यह जोड़ा दक्षिण मुंबई के ठाकुरवाड़ी इलाके में रहता है।
इरावती एक स्कूल में प्राचार्य रह चुकी हैं और उनके पति महाराष्ट्र राज्य परिवहन निगर में सुपरवाइजर थे। हालांकि यह दंपती कहता है कि वह 31 मार्च तक राष्ट्रपति कार्यालय के फैसले का इंतजार करेंगे। पत्र के हवाले से इरावती ने बताया ‘‘31 मार्च के बाद आप मेरा गला घोंट सकते हैं। इसके बाद मेरी हत्या के जुर्म में आपको मौत की सजा दे दी जाएगी।’’ पूर्व में इस नि:संतान दंपती ने कहा था कि वे साथ साथ इच्छामृत्यु चाहते हैं क्योंकि वे नहीं चाहते कि उनमें से एक को भी दूसरे के बिना अकेले और असहाय हो कर जीवन बिताना पड़े। इस दंपती ने आबादी न बढ़ाने के लिए नि:संतान रहने का फैसला किया था।
इरावती ने कहा ‘‘पहले से ही अत्यधिक आबादी वाले देश तथा दुनिया में और बच्चे लाना एक सामाजिक अपराध होता। हमने सभी सामाजिक लाभ लिए और अब हमारे पास समाज को देने के लिए हमारे अंगों के अलावा और कुछ नहीं है, हम ऐसा (अंग दान) करना चाहते हैं। हमने अंग दान करने के लिए सरकारी जे जे अस्पताल से संपर्क किया है। नारायण लवाते सूचना का अधिकार कार्यकर्ता हैं। उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा ‘‘मैं 1987 से इच्छामृत्यु की वकालत कर रहा हूं। लेकिन सरकार ने कोई जवाब नहीं दिया। आप जानते हैं, अरूणा शानबाग का क्या हुआ, 42 साल तक निष्क्रिय हालत में रहने के बाद उसका निधन हुआ। अरूणा एक नर्स थी।
वार्ड ब्वॉय द्वारा बलात्कार और हमला करने से उसका मस्तिष्क क्षतिग्रस्त हो गया था और वह करीब चार दशक तक अस्पताल के कमरे में निष्क्रिय अवस्था में पड़ी रही। उसके लिए कुछ कार्यकर्ताओ ने इच्छामृत्यु का अनुरोध किया था लेकिन उन्हें अनुमति नहीं मिली। नारायण ने कहा ‘‘हम बीमारी से नहीं मरना चाहते। समय आ गया है कि हम कानून बदलें और इच्छामृत्यु की अनुमति दें। नारायण से पूछा गया कि जिस पत्नी को वह इतना प्यार करते हैं, क्या उसका गला भी घोंट सकते हैं। इस पर उन्होंने कहा ‘‘मैं ऐसा कर सकता हूं ताकि उसे किसी लंबी बीमारी के बाद दर्दनाक मौत न मिले।’’