कोयला खनन में लगी सरकारी कंपनी CIL का एकाधिकार खत्म, प्राइवेट कंपनियों को हरी झंडी
भारतीय कोयला क्षेत्र का 1973 में राष्ट्रीयकरण किए जाने के बाद से सबसे महत्वपूर्ण कदम के रूप में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मंगलवार को निजी क्षेत्र को व्यावसायिक खनन की अनुमति दे दी। इससे इस क्षेत्र पर सरकारी खनन कंपनी कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) का एकाधिकार समाप्त हो गया है। रेल और कोयला मंत्री पीयूष गोयल ने मंत्रिमंडल की बैठक के बाद नई दिल्ली में संवाददाताओं से कहा कि इस क्षेत्र में दक्षता लाने के लिए निजी कंपनियों को कोयला खदानों की नीलामी में भाग लेने की मंजूरी दी गई है। गोयल ने कहा, “सरकार ने कोयला क्षेत्र में कई कदम उठाए हैं, जिससे व्यवस्था में प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी, कोयला उत्पादन में दक्षता आएगी, कोयला आयात में कमी आएगी, जिससे विदेशी मुद्रा की बचत होगी और लोगों के लिए रोजगार के अवसर पैदा होंगे।”
उन्होंने कहा कि नई पद्धति के अनुसार, नीलामी पारदर्शी तरीके से ऑनलाइन होगी। एक आधिकारिक बयान के अनुसार, कार्यप्रणाली पारदर्शिता, व्यापार करने में आसानी और राष्ट्रीय विकास के लिए प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग सुनिश्चित करने को सर्वोच्च प्राथमिकता दी गई है। मंत्री ने कहा, “कोई एंड-यूज और मूल्य प्रतिबंध नहीं होगा। यह कंपनियों पर निर्भर करेगा कि वे खुले बाजार में कीमतों को कम करें।”
सरकार के इस फैसले से अब खुले बाजार में घरेलू और विदेशी कंपनियों को बाजार द्वारा निर्धारित मूल्य पर कोयला बेचने की अनुमति होगी। कोल इंडिया पर इस फैसले के प्रभाव के बारे में पूछे जाने पर गोयल ने कहा कि वाणिज्यिक खनन से सरकारी खनन कंपनी को भी फायदा होगा, क्योंकि प्रतिस्पर्धा से सभी हितधारकों की दक्षता में सुधार करने में मदद मिलेगी।
उन्होंने कहा, “कोयले की गुणवत्ता में सुधार होगा और आयात घटेगा। हम भारत को कोयले में आत्मनिर्भर बनाना चाहते हैं। इस कदम का लक्ष्य भारत में ईज ऑफ डूइंग बिजनेस को बढ़ावा देना है।” गोयल ने आगे कहा कि कोयला खनन से उत्पन्न राजस्व जिस राज्य में खनन किया जाएगा, उसका होगा और इस आय में केंद्र का कोई हिस्सा नहीं होगा।