गर्भाशय का कैंसर रोक सकती हैं गर्भनिरोधक गोलियां, जानें ओवेरियन कैंसर से जुड़े 5 जरूरी तथ्य
ओवेरियन कैंसर यानी कि गर्भाशय का कैंसर दुनिया भर में तेजी से फैलने वाली स्त्री-संबंधी बीमारियों में से एक है। हर साल इसके मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। समय रहते पता लगाना और इसका इलाज कराना ही ओवेरियन कैंसर के खतरे को टालने का एकमात्र उपाय है। ओवेरियन कैंसर के लक्षणों को इग्नोर करना काफी खतरनाक हो सकता है। दुनिया भर की हजारों महिलाएं इस वजह से जान से हाथ धो बैठती हैं। नियमित रूप से पीरियड्स का न होना, अचानक मोटापा बढ़ जाना, बार-बार पेट दर्द करना, पेल्विक पेन, शारीरिक संबंध बनाने के दौरान दर्द, बहुत अधिक पेशाब आना और योनि से रक्तस्राव आदि इस बीमारी के लक्षण हैं। इनमें से कोई भी लक्षण दिखते ही तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
ओवेरियन कैंसर से जुड़े तथ्य –
आनुवंशिक वजहों से – ओवेरियन कैंसर का पारिवारिक इतिहास इसके होने के मुख्य कारकों में से एक है। मां या पिता, किसी के भी परिवार में अगर पहले कोई इस बीमारी से पीड़ित था तो ओवेरियन कैंसर का खतरा बढ़ जाता है। इसके अलावा यह खतरा तब और बढ़ जाता है जब मां, बहन या बेटी जैसे करीबी रिश्तों में कोई इस बीमारी से पीड़ित हो।
बढ़ती उम्र के साथ बढ़ता खतरा – गर्भाशय का कैंसर उम्र बढ़ने के साथ बढ़ता है। पीरियड्स या फिर पहली प्रेग्नेंसी की उम्र में भी गर्भाशय का कैंसर होने का खतरा ज्यादा होता है। इसके अलावा महिलाओं में मीनोपॉज के बाद गर्भाशय का कैंसर होने की ज्यादा संभावना होती है।
सिर्फ डॉक्टरी चेक-अप पर्याप्त नहीं – ओवेरियन कैंसर का पता लगाने वाले स्क्रीनिंग टेस्ट के बारे में अभी कोई जानकारी नहीं मिल पाई है। डॉक्टर्स चेकअप कर सर्वाइकल कैंसर का पता लगा सकते हैं जो बहुत ज्यादा खतरनाक नहीं होता। ओवेरियन कैंसर का पता तभी लगाया जा सकता है जब तक कि ट्यूमर पर्याप्त बड़ा न हो जाए।
गर्भनिरोधक गोलियों से कम हो सकता है खतरा – गर्भनिरोधक गोलियों का सेवन करने के हार्मोन्स को रेगुलेट करने से लेकर अनचाही प्रेग्नेंसी रोकने तक अनेक फायदे हैं। लेकिन इन सबके अलावा यह कैंसर रोकने में भी मददगार होती है। 20-30 साल की उम्र के बीच पांच साल तक लगातार नियमित रूप से गर्भनिरोधक गोलियों का सेवन करने से ओवेरियन कैंसर का खतरा 50 प्रतिशत तक कम हो जाता है।
जानलेवा स्त्री रोग – ओवेरियन कैंसर महिलाओं में होने वाली एक जानलेवा बीमारी है। इस बीमारी की चपेट में आने वाली लगभग दो तिहाई महिलाओं की जान चली जाती है। ऐसे में इससे बचने के लिए पहले से सतर्क रहना जरूरी है। इसके लक्षणों के दिखते ही तुरंत डॉक्टर से संपर्क करने की जरूरत है।