इशरत जहां केस में बरी होने के बाद बोले गुजरात के पूर्व डीजीपी- मंगल पांडे की तरह फांसी चाहता था

इशरत जहां एनकाउंटर मामले में गुजरात के पूर्व पुलिस महानिदेशक और वरिष्ठ आईपीएस पीपी. पांडे को कोर्ट ने सभी आरोपों से बरी कर दिया है। 1982 बैच के आईपीएस ऑफिसर ने बताया कि जेल में डेढ़ साल का वक्त बेहद कठिन था, लेकिन उनके लिए आखिरकार अच्छे दिन आ गए। पीपी. पांडे ने कहा, ‘एक समय तो मैं फांसी पर चढ़ने को तैयार था। उसी तरह जिस तरह मंगल पांडे को फांसी पर लटकाया गया था, पीपी. पांडे को भी उसी तरीके से फांसी दे दी जानी चाहिए।’ पीपी. पांडे ने कोर्ट में दाखिल अर्जी में मामले के दो गवाहों के बयानों के विरोधाभासी होने की दलील थी। उन्होंने पुलिस फोर्स में फिर से बहाली के साथ पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) के पद पर प्रमोशन देने की भी मांग की है। पीपी. पांडे को गुजरात का डीजीपी बनाया गया था। उनके प्रमोशन को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी, जिसके बाद वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी ने अप्रैल, 2017 में अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। इशरत जहां का अहमदाबाद के समीप वर्ष 2004 में एनकाउंटर किया गया था। इशरत जहां के तार लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े होने की बात कही गई थी। उस पर नरेंद्र मोदी की हत्या की साजिश में शामिल होने का भी आरोप लगाया गया था। बता दें कि मुंबई हमले के आरोपी डेविड कोलमैन हेडली ने एनआईए की पूछताछ में इशरत जहां का नाम लिया था।

दरगाह और मंदिर में टेकेंगे माथा: पीपी. पांडे ने बताया कि उन्होंने कई जगह मन्नतें मांग रखी हैं। मामले से बरी होने के बाद अब वह उन स्थलों पर जाकर माथा टेकेंगे। उन्होंने कहा, ‘मैंने देवा शरीफ (लखनऊ से 25 किलोमीटर दूर) में परेशानियों के खत्म होने को लेकर प्रार्थन की थी। मैं जल्द ही माथा टेकने के लिए दरगाह पर जाऊंगा। मुझे अजमेर शरीफ और अंबाजी मंदिर भी जाना है।’ टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, उन्होंने मेडल के लिए मुठभेड़ को अंजाम देने के आरोपों को भी खारिज किया है। पांडे ने कहा, ‘जिन्होंने मक्खी भी नहीं मारी होती है, उनको भी मेडल मिलते हैँ।’ मालूम हो कि इशरत जहां मुठभेड़ मामले में डीजी वंजारा और जीएल सिंघल को भी आरोपी बनाया गया था। पीपी. पांडे खाली समय में गुजरात लोकसेवा आयोग की मुख्य परीक्षा पास करने वालों का मॉक इंटरव्यू कर उनकी तैयारी में सहयोग करते हैं।

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