टीवी डिबेट में गरम हुए बीजेपी नेता, कहा- खालिस्तान बनाओगे तो पैर तोड़ दूंगा, बना कर दिखाओ
बीजेपी नेता तजिंदर बग्गा एक टीवी बहस के दौरान आपा खोते नजर आए। उन्होंने एक साथी पैनलिस्ट सतनाम सिंह को खालिस्तान की मांग करने पर पैर तोड़ने की धमकी दी। जी न्यूज के पंजाबी चैनल पर हो रही बहस के दौरान तजिंदर बग्गा कुछ देर तक लगातार बोले कि ‘पैर तोड़ दूगा’। बीच में एंकर को दोनों को चुप कराना पड़ा। गुरुवार (22 फरवरी) को तजिंदर बग्गा ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से टीवी बहस का वीडियो शेयर करते हुए माफी मांगी। तजिंदर बग्गा ने ट्वीट में लिखा- ”अगर मैंने नेशनल टेलीविजन पर गंदी भाषा का इस्तेमाल किया है तो मैं माफी मांगता हूं, लेकिन जब उन्होंने खालिस्तान की मांग की तो मैंने आपा खो दिया।” ट्विटर पर तजिंदर बग्गा के इस माफीनामे पर कई यूजर्स उनका समर्थन कर रहे हैं और कह रहे हैं कि माफी मांगने की जरूरत नहीं है। कृष नाम के यूजर ने लिखा- ”चिंता करने की जरूरत नहीं है, आपने सही जगह चोट की, इसलिए बाकी लोग दर्द के मारे चिल्ला रहे हैं।”
I am sorry if i used bad language on National television but i lost control whn he said he want Khalistan pic.twitter.com/4kbwIAujXK
— Tajinder Bagga (@TajinderBagga) February 22, 2018
एक यूजर ने लिखा- ”तुस्सी छा गए जी…करारा जवाब दिता, जय हिन्द।” जयश्री रत्नम ने लिखा- ”देश विरोधी लोग ऐसी ही भाषा और इससे भी ज्यादा के लायक हैं। सही कहा, कृपया माफी न मांगें।” सतेंदर पाल ने लिखा- ”चिंता न करो वीरे, वे खालिस्तान के लिए गुप्त एजेंडा चला रहे हैं, जिसे विदेशों में रह रहे भारतीय समर्थन दे रहे हैं। हम यहां रक्षा करने के लिए हैं, जैसा कि हम जम्मू-कश्मीर की रक्षा करते हैं। उन्हें आने दो, ठोक दिए जाएंगे, गुस्सा जायज हैं, कंट्रोल भी सीख जाओगे।”
एक यूजर ने लिखा- ”ऐसे गुस्से पर कंट्रोल की जरूरत नहीं है। देश के लिए ऐसा गुस्सा हमेशा कायम रहना चाहिए।” प्रेमचंद ने लिखा- ”हर भारतवासी कर्जदार है सिखों की कुर्बानियों का, राजा पोरस से लेकर गुरु गोविंद सिंह, भगत सिंह और कितने ही सप्तसिंधु के वीर सपूत न्योछावर हो गए मातृभूमि की आन के लिए। जब तक आप जैसे वीर हैं, कोई डर नहीं है बदमाश खालिस्तान से।” बता दें कि कुछ लोगों द्वारा सिखों के लिए अलग देश खालिस्तान बनाने की मांग की गई थी। खालिस्तान बनाने का आंदोलन 80 के दशक में जोरों पर था। कहा जाता है कि विदेशों में रह रहे भारतीय इस आंदोलन को चलाने में मदद करते हैं।