दस दिनों तक ध्यानमग्न रहेंगे केजरीवाल, सिसोदिया संभालेंगे कमान
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल अगले दस दिनों तक ध्यानमग्न रहेंगे। उनके पास न तो फोन होगा, न ही टीवी-अखबार से उनका कोई वास्ता होगा। उनकी गैरहाजिरी में उनके डिप्टी मनीष सिसोदिया दिल्ली सरकार की कमान संभालेंगे। सिसोदिया रविवार रात ही मास्को से लौटे हैं। अपने तीखे बयानों से सियासी दुनिया में हड़कंप मचाने वाले केजरीवाल ने वैसे तो पांच राज्यों के चुनाव परिणामों के बाद से ही चुप्पी साध रखी है, लेकिन अगले दस दिनों तक वे बिल्कुल चुप और ध्यानमग्न रहेंगे। मुख्यमंत्री केजरीवाल प्राचीन बौद्ध ध्यान शैली विपश्यना के सत्र में हिस्सा लेने के लिए रविवार रात महाराष्टÑ रवाना हो गए। वहां वे 20 सितंबर तक ध्यान लगाएंगे। ध्यान की इस शैली में व्यक्ति का बाहरी दुनिया से संपर्क पूरी तरह कट जाता है। फोन, टीवी, अखबार आदि कोई भी सूचना का माध्यम उपलब्ध नहीं होता। जाहिर है कि अगले कुछ दिनों केजरीवाल का ट्विटर भी शांत ही रहेगा। बताया जा रहा है कि उन्हें रविवार सुबह ही निकलना था, लेकिन उपमुख्यमंत्री सिसोदिया के दिल्ली में मौजूद नहीं होने के कारण उन्हें शाम तक इंतजार करना पड़ा। सिसोदिया किसी कार्यक्रम के सिलसिले में मास्को गए थे। उनके लौटने के बाद केजरीवाल महाराष्टÑ के नासिक जिले के ईगतपुरी स्थित बौद्ध विपश्यना केंद्र के लिए रवाना हो गए। समझा जा रहा है कि गुरुग्राम में एक स्कूली बच्चे की निर्मम हत्या और दिल्ली के एक स्कूल में भी एक बच्ची से बलात्कार की घटना के मद्देनजर पैदा हुए माहौल में मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री दोनों की दिल्ली से गैरहाजिरी विपक्ष को एक नया मुद्दा थमा सकती थी, शायद इसी वजह से उपमुख्यमंत्री के आने के बाद ही केजरीवाल महाराष्ट्र के लिए रवाना हुए।
यह कोई पहला मौका नहीं है जब मुख्यमंत्री विपश्यना के लिए गए हैं। इससे पहले भी कई बार उन्होंने इस बौद्ध शैली के तहत ध्यान लगाया है। सबसे पहले केजरीवाल विपश्यना के लिए 2014 के लोकसभा चुनाव के बाद गए थे, जब उन्होंने बनारस में भाजपा के प्रधानमंत्री पद के दावेदार नरेंद्र मोदी के खिलाफ ताल ठोकी थी। उसके बाद उन्होंने बंगलुरु स्थित एक चिकित्सा केंद्र में भी अपनी खांसी के इलाज के बीच ध्यान लगाया था। मुख्यमंत्री पिछले साल हिमाचल प्रदेश में भी विपश्यना के लिए गए थे। पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव से ठीक पहले उनकी इस ध्यान यात्रा में सियासी दांव-पेच भी खोजे गए थे। इन चुनावों में केजरीवाल की अगुआई वाली आम आदमी पार्टी बुरी तरह हार गई थी। उसके बाद फिर दिल्ली नगर निगम के चुनाव में भी आम आदमी पार्टी को करारी हार मिली। बकौल मुख्यमंत्री केजरीवाल, विपश्यना से उन्हें कठिन परिस्थितियों से निपटने की ऊर्जा हासिल होती है। दिलचस्प यह भी है कि पहली बार जल विभाग के रूप में किसी महकमे का जिम्मा संभालने के बाद मुख्यमंत्री विपश्यना के लिए दिल्ली से बाहर गए हैं।