सरकारी बैंकों के निजीकरण से जेटली का इनकार, कहा- नहीं बन रही राजनीतिक सहमति
पंजाब नेशनल बैंक में आरोपी हीरा व्यापारी नीरव मोदी द्वारा किए गए 11,300 करोड़ रुपये के घोटाले के बाद वित्तमंत्री अरुण जेटली ने शनिवार को कहा कि सरकारी बैंकों (पीएसबी) के निजीकरण की कोई योजना नहीं है, क्योंकि इस पर राजनीतिक सहमति नहीं बन पा रही है। पीएनबी घोटाले का भंडाफोड़ 14 फरवरी को हुआ थी, जिसमें भारतीय बैंकिंग प्रणाली को हिला कर रख दिया। इसके बाद उद्योग मंडलों फिक्की, एसोचैम और सीआईआई ने सरकार से सरकारी बैंकों के निजीकरण की सिफारिश की थी।
जेटली ने ईटी वैश्विक व्यापार सम्मेलन में यहां कहा, “निजीकरण के लिए राजनीतिक सहमति की आवश्यकता होगी। साथ ही इसके लिए कानून (बैंकिंग विनियम अधिनियम) में संशोधन करना होगा। मेरा मानना है कि इस विचार पर राजनीतिक सहमति नहीं है। यह काफी चुनौतिपूर्ण फैसला होगा।” उद्योग मंडल एसोचैम ने पिछले हफ्ते कहा था कि पीएनबी घोटाले के बाद सरकार को सरकारी बैंकों का निजीकरण कर देना चाहिए, ताकि वे निजी बैंकों की तरह शेयरधारकों के प्रति जवाबदेही से काम करें और जमाकर्ताओं के हितों की सुरक्षा हो।
फेडरेशन ऑप इंडियन चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (फिक्की) ने कहा कि पिछले दशक के दौरान सरकारी बैंकों के पुनर्पूजीकरण से उनके स्वास्थ्य में सुधार पर बहुत कम असर हुआ है, इसलिए देश में ‘गतिशील बैंकिंग क्षेत्र’ बनाने के लिए उनका निजीकरण कर देना चाहिए।