राज्यसभा चुनाव: भाजपा के सामने यूपी में बड़ी मुश्किल, बड़े नामों का टोटा
अगले महीने 59 राज्यसभा सीटों के लिए चुनाव होने हैं। ऐसे में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सामने उत्तर प्रदेश में बड़ी मुश्किल खड़ी हो गई है। पार्टी यहां पर कम के काम आठ सीटें जीतने का ख्वाब देख रही है, मगर उसके पास बड़े नामों का टोटा है। देश में सबसे अधिक आबादी वाले प्रदेश में संसद के उच्च सदन की 10 सीटें खाली हैं, जिसमें आठ सीटें भाजपा के खाते में जा सकती हैं। भाजपा का गठबंधन यहां पर अपना दल और सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के साथ है, जो चुनाव में राज्यसभा सीटों पर कब्जा जमाने में कामयाब हो सकते हैं। हालांकि, एक भाजपा नेता का कहना है कि उनके पास चुनाव के मद्देनजर राज्य में बड़े नामों की कमी है। वहीं, पार्टी से जुड़े एक अन्य नेता ने बताया कि राज्यसभा चुनावों पर जिनकी निगाहें टिकी हैं, उनमें से अधिक स्थानीय नेता है। आपको बता दें कि निर्वाचन आयोग 58 सीटों के लिए राज्यसभा चुनावों की तारीखों का ऐलान कर चुका है। अप्रैल और मई में खाली होने वाली राज्यसभा की 58 सीटों के लिए 23 मार्च को द्विवार्षिक चुनाव होगा। आयोग ने शुक्रवार को इन सीटों का चुनाव कार्यक्रम घोषित करते हुए यह जानकारी दी थी।
अन्य पिछड़ा वर्ग के नेता विनय कटियार का कार्यकाल खत्म हो रहा है। फिलहाल यह स्पष्ट नहीं हो सका है कि उन्हें कार्यकाल बढ़ेगा या किसी और को उनकी जगह मौका मिलेगा। पार्टी के भीतर के लोगों के मुताबिक, महासचिव अरुण सिंह और अनिल जैन, प्रवक्ता बिजय सोनकर शास्त्री, पिछड़ी जाति के सेल लीडर रमेश चंद्र रतन, अन्य पिछड़ा वर्ग मोर्चा के मुखिया दारा सिंह चौहान सरीखे नेता सूबे से राज्यसभा चुनाव की रेस में अहम उम्मीदवार हैं।
अरुण सिंह सीए हैं और केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह के रिश्तेदार हैं। जैन गैस्ट्रोएंट्रोलॉजिस्ट हैं और पिछले साल ही उन्हें विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए टिकट की पेशकश की थी, लेकिन बाद में मना कर दिया। रतन बसपा के संस्थापक सदस्यों में से हैं और वह 2008 में भाजपा में आ गए थे। चौहान भी पहले बसपा थे, जिन्होंने 2015 में कमल का दामन थामा। वहीं, शास्त्री राष्ट्रीय पिछड़ा जाति आयोग के पूर्व चेयरपर्सन और पूर्व सांसद रह चुके हैं।
अप्रैल-मई में राज्यसभा से कुल 17 भाजपा के सदस्य सेवानिवृत्त हो रहा हैं। ऐसे में पार्टी दो राज्यसभा सीटें महाराष्ट्र और हरियाणा, झारखंड और उत्तराखंड में एक-एक सीट पाने की उम्मीद लगाए है। पार्टी को गुजरात के अलावा बिहार में भी दिक्कत हो सकती है, क्योंकि यहां के दो केंद्रीय मंत्रियों (रवि शंकर प्रसाद और धर्मेंद्र प्रधान) का कार्यकाल भी समाप्त होने वाला है। भाजपा के जिन राज्यसभा सांसदों का कार्यकाल पूरा हो रहा है उनमें आठ केंद्रीय मंत्री हैं, जिसमें छह कबीना मंत्री हैं। हालांकि, अगर पार्टी इन्हें दूसरे राज्यों से चुनाव लड़ने के लिए भेजे तो इनमें से अधिकतर दोबारा से चुन लिए जाएंगे।