गौरी लंकेश हत्या: संघ परिवार पर शक जताने के लिए BJP ने भेजा नोटिस, रामचंद्र गुहा ने कहा- ये वाजपेयी का भारत नहीं

भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने इतिहासकार और लेखक रामचंद्र गुहा को कानूनी नोटिस भेजा है। गुहा को ये नोटिस बीजेपी युवा मोर्चा के कर्नाटक इकाई के राज्य सचिव करुणाकर खासले ने भेजी है। गुहा पर हिंदुस्तान टाइम्स अखबार और द स्क्रॉल डॉट कॉम वेबसाइट पर पत्रकार गौरी लंकेश की हत्या के बारे में व्यक्ति किए गए विचारों के लिए ये नोटिस भेजी गयी है। गुहा ने स्क्रॉल से बातचीत में कहा था, “इस बात की बहुत आशंका है कि उनके हत्यारे भी संघ परिवार से जुड़े हों, जिस तरह दाभोलकर, पानसरे और कलबुर्गी की हत्या के जुड़े हैं।” गुहा को भेजे गये कानूनी नोटिस में कहा गया है कि वो या तो तीन दिन के अंदर बिना शर्त माफी मांगे या कानूनी कार्रवाई के लिए तैयार रहें।

पत्रकार गौरी लंकेश की छह सितंबर को बेंगलुरु में तीन हमलावरों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी। गौरी लंकेश कन्नड़ में निकलने वाली “गौरी लंकेश पत्रिका” की संपादक थीं। वो राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, बीजेपी और उससे जुड़े संगठनों की कड़ी आलोचक थीं। लंकेश कर्नाटक की कांग्रेस सरकार से जुड़े कई मंत्रियों के भ्रष्टाचार उजागर करने वाले वाली रिपोर्ट और लेख भी प्रकाशित करती रही थीं। उनकी हत्या के बाद हत्या के मंसूबों को लेकर सोशल मीडिया पर तमाम तरह की अटकलें लगाई जा रही हैं। कर्नाटक की सिद्धारमैया सरकार ने लंकेश की हत्या के लिए एसआईटी का गठन किया है। लंकेश के घर के बाहर लगे सीसीटीवी से भी पुलिस को हत्यारों का सुराग लगाने में सफलता नहीं मिली क्योंकि उन सभी ने हेलमेट और गाढ़े रंग के कपड़े पहन रखे जिससे उनके बारे में कोई सुराग नहीं मिला।

बीजेपी द्वारा भेजी गयी कानूनी नोटिस में कहा गया है कि गुहा द्वारा जिन हत्याओं का जिक्र किया गया है उनमें से किसी को भी हल नहीं किया गया है। नोटिस में कहा गया है, “आपका सोचा-समझा, मिथ्या और नपातुला बयान से हमारे मुवक्किल संस्थान और उसके हजारों सदस्यों और समर्थकों को गहरी पीड़ा हुई है” बीजेपी नेता द्वारा कानूनी नोटिस मिलने के बाद गुहा ने सोशल मीडिया पर लिखा, “अटल बिहारी वाजपेयी ने कहा था कि एक किताब या लेख का जवाब केवल दूसरी किताब या लेख हो सकता है। लेकिन हम अब वाजपेयी के भारत में नहीं रह रहे हैं।” एक अन्य ट्वीट में गुहा ने कहा, “आज के भारत में स्वतंत्र लेखकों और पत्रकारों का उत्पीड़न किया जा रहा है, उन्हें प्रताड़ित किया जा रहा है, यहां तक कि मारा जा रहा है। लेकिन हमें चुप नहीं कराया जा सकता।”

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