दागी सांसदों और विधायकों पर मुकदमा चलाने के लिए विशेष अदालतों का गठन

दिल्ली उच्च न्यायालय ने उच्चतम न्यायालय के दिशा-निर्देश के अनुपालन में नेताओं की संलिप्तता वाले आपराधिक मामलों की सुनवाई और उनके जल्द निपटारे के लिए दो विशेष अदालतों का गठन किया है। उच्च न्यायालय ने विशेष सीबीआई न्यायाधीश अरविन्द कुमार और अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट समर विशाल विशेष अदालतों की अध्यक्षता करेंगे। एक प्रशासनिक आदेश में कहा गया है कि दिल्ली उच्च न्यायालय की कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल और अन्य न्यायाधीशों ने उच्चतम न्यायालय के निर्देशों के अनुपालन में निर्वाचित सांसदों और विधायकों के मामले के निपटारे के लिए एक नवंबर, 2017 और 14 दिसंबर, 2017 को दो अदालतों को विशेष अदालत का दर्जा दिया।

उच्च न्यायालय के महापंजीयक दिनेश कुमार शर्मा की ओर से 23 फरवरी को जारी किये गए आदेश में कहा गया है कि विशेष अदालतें एक मार्च से पटियाला हाउस अदालत परिसर में काम करना शुरू कर देंगी। कानून के जानकारों का मानना है कि एक साल में एक विशेष अदालत सिर्फ सौ मुकदमे निपटा सकती है। ऐसे में इन मामलों को निपटाने के लिए एक सौ चालीस विशेष अदालतों की जरूरत होगी।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक देश में 1581 दागी छवि वाले जनप्रतिनिधियों में 993 ऐसे हैं, जिन पर गंभीर अपराध, जैसे हत्या, हत्या की कोशिश, यौन शोषण और बलात्कार जैसे गंभीर मामले विभिन्न अदालतों में लंबित हैं। ऐसी स्थिति में जरूरी है कि दागी जनप्रतिनिधियों के मामलों के निपटारे के लिए विशेष अदालतों का गठन तय समय में हो और वे सभी संसाधनों से लैस भी हों। ‘तारीख-दर-तारीख’ के कारण भविष्य में मूर्तरूप लेने वाली विशेष अदालतें फिर कहीं सुस्त न्यायिक प्रकिया का हिस्सा बन कर न रह जाएं।

 

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