खालिदा की जमानत पर फैसला टला, निचली अदालत से नहीं मिल पाए थे जरूरी कागजात
बांग्लादेश के हाई कोर्ट ने पूर्व प्रधानमंत्री और मुख्य विपक्षी दल बीएनपी की प्रमुख खालिदा जिया की जमानत याचिका पर निर्णय रविवार को टालते हुए कहा कि निचली अदालत से जरूरी कागजात मिलने के बाद इस पर फैसला किया जाएगा। वहीं एक दूसरे मामले में एक दूसरी अदालत ने उनकी जमानत को एक दिन के लिए बढ़ा दिया है। तीन बार देश की प्रधानमंत्री रह चुकीं 72 साल की खालिदा को उनके दिवंगत पति जियाउर रहमान के नाम पर संचालित जिया अनाथालय ट्रस्ट को विदेश से मिले करीब ढाई लाख अमेरिकी डॉलर के चंदे की रकम में हेरफेर से जुड़े मामले में आठ फरवरी को ढाका की एक विशेष अदालत ने पांच साल के जेल की सजा सुनाई थीं।
हाई कोर्ट के एक अधिकारी ने पत्रकारों को बताया कि दो जजों के पीठ ने कहा, ‘निचली अदालत से मामले के दस्तावेज मिलने के बाद जमानत याचिका पर आदेश जारी किया जाएगा।’ अगले दो हफ्ते में ये कागजात हाईकोर्ट को मिल सकते हैं। इस हफ्ते की शुरुआत में हाई कोर्ट ने उनकी जमानत याचिका को सुनवाई के लिए स्वीकार कर लिया था। याचिका में खालिदा को दोषी ठहराए जाने को चुनौती दी गई थी। एक अलग सुनवाई में एक अदालत ने रिश्वत मामले में खालिदा की जमानत सोमवार तक के लिए बढ़ा दी है।
खालिदा के वकील मॉदुद अहमद ने जिया चेरिटेबल ट्रस्ट रिश्वत मामले में खालिदा की जमानत बढ़ाने की याचिका दाखिल की थी। इसके बाद कोर्ट-5 के विशेष न्यायाधीश न्यायमूर्ति एमडी अख्तरूज्जमान ने जमानत एक दिन बढ़ाने का आदेश रविवार को जारी किया। रिपोर्ट के मुताबिक इसी अदालत ने एक फरवरी को खालिदा को रविवार तक के लिए अंतरिम जमानत दी थी। उन्हें रविवार को अदालत के सामने पेश होने के लिए कहा गया था। जिया चैरिटेबल ट्रस्ट रिश्वत मामला अगस्त 2011 में दायर किया गया था। इसमें जिया समेत चार लोगों पर आरोप लगाए गए थे। इन पर सत्ता का दुरुपयोग कर अज्ञात स्रोतों से ट्रस्ट के लिए धन जुटाने के आरोप थे। तीन अन्य लोगों में उस समय प्रधानमंत्री खालिदा जिया के राजनीतिक सचिव हैरिस चौधरी, हैरिस के सहायक निजी सचिव (एपीएस) जियाउल इस्लाम मुन्ना और ढाका शहर के पूर्व मेयर सादिक हुसैन खोखा के एपीएस मोनिरूल इस्लाम खान शामिल हैं। बीएनपी ने दावा किया है कि ये मामले राजनीति से प्रेरित हैं। पार्टी का कहना है कि ये मामले पार्टी प्रमुख को राष्ट्रीय चुनाव से दूर रखने के लिए है।