माधुरी दीक्षित के साथ कभी फिल्मों में काम नहीं करना चाहते थे गोविंदा, फिर राजेश खन्ना ने दी थी ये सलाह
बॉलीवुड एक्टर गोविंदा और माधुरी दीक्षित को आपने कुछ फिल्मों में साथ काम करते हुए जरूर देखा होगा। पाप का अंत, महा-संग्राम, इज्जतदार और बड़े मियां छोटे मियां जैसी फिल्मों में इनकी जोड़ी को लोगों ने बेहद पसंद किया। लेकिन कभी आपने सोचा है कि आखिर इन दोनों ने एक साथ इतनी कम फिल्में ही क्यों की। दरअसल, इसके पीछे एक बड़ी वजह थी। माधुरी दीक्षित जब बॉलीवुड में अपना करियर बनाने के लिए स्ट्रगल कर रही थी तो गोविंदा ने उनकी काफी मदद की थी। गोविंदा की वजह से माधुरी को फिल्म सदा सुहागन में काम करने का मौका मिला था। फिल्म की 3 तीन की आउटडोर शूटिंग भी हो चुकी थी। लेकिन उसी समय माधुरी की मुलाकात डायरेक्टर सुभाष घई से हुई जो उस समय एक बड़े डायरेक्टर माने जाते थे। सुभाष कतो माधुरी की मुस्कान भा गई और उन्होंने उन्हें अपनी आने वाली फिल्म ‘उत्तर-दक्षिण’ के लिए साइन कर लिया। माधुरी ने सदा सुहागन से बेहतर ‘उत्तर-दक्षिण’ फिल्म को समझा और उसमें काम करने लगी। ये बात अलग है कि 1986 में आई फिल्म सदा सुहागन सुपर हिट साबित हुई। वहीं ‘उत्तर-दक्षिण’ दर्शकों पर अपना कुछ खास असर नहीं छोड़ पाई।
माधुरी के इस फैसले के बाद तो गोविंदा ने उनसे बात करना ही बंद कर दिया था। वहीं माधुरी ने एक इंटरव्यू के दौरान बताया था कि उस समय मुझे जो सही लगा वो मैंने किया। अगर मेरी जगह कोई और होती तो वो भी अपने करियर के बारे में ही सोचती और मैंने भी कुछ ऐसा ही सोचा था, इसमें मेरी क्या गलती है। एक तरफ जहां गोविंदा की फिल्में हिट हो रही थी तो वहीं माधुरी भी ‘फिल्म’ तेजाब के बाद बॉलीवुड में अपनी पहचान बनाने में कामयाब हो गईं थीं।
1989 में आई फिल्म ‘पाप का अंत’ के लिए जब गोविंदा को माधुरी दीक्षित के साथ काम करने के लिए कहा गया तो वह मना करने लगे। उन्होंने डायरेक्टर से साफ कह दिया था कि फिल्म में या तो आप मुझे रख लीजिए या माधुरी को। ऐसे में राजेश खन्ना ने गोविंदा को समझाने का काम किया। गोविंदा राजेश खन्ना को काफी मानते थे। यही वजह थी कि वह उनकी किसी बात को इनकार नहीं कर सकते थे। इसके बाद गोविंदा माधुरी के साथ फिल्मों में काम करने के लिए राजी हो गए।