पीएनबी घोटाले पर बोले उपराष्ट्रपति, बताया सिस्टम की नाकामी
उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने सोमवार को कहा कि देश की बैंकिंग प्रणाली में व्यवस्थागत विफलता रही है इसलिए इस मसले पर आरोप-प्रत्यारोप से कोई फायदा नहीं है। उपराष्ट्रपति सार्वजनिक क्षेत्र के तहत संचालित पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) में उजागर हुए 11,300 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी के सिलसिले में बोल रहे थे। नायडू ने यहां 300 कर्मियों को ‘प्रधानमंत्री श्रम अवार्ड’ प्रदान करने के बाद कहा, “कुछ विनियमन किया जाना जाहिए जो प्रभावकारी ढंग से काम करे। अगर व्यवस्थागत विफलता है तो हमें देखना होगा कि बैंकों में क्या हो सकता है। व्यवस्था में सुधार लाना होगा।” उन्होंने कहा, “व्यवस्थागत विफलता के कारणों का पता लगाने और उसे सुधारने की कोशिश करने से ही समाधान तलाशे जा सकते हैं। राजनीति तो ऐसे ही चलती रहेगी।”
उपराष्ट्रपति ने कहा कि भारत दुनिया की आर्थिक आशा थी और इसकी तस्वीर आकर्षक व जटिल थी क्योंकि हमारी अर्थव्यवस्था में तेजी से विस्तार हो रहा है। उन्होंने श्रम बल के शैक्षणिक स्तर और उनके लिए प्रशिक्षण की गुणवत्ता में सुधार की आवश्यकता बताई है। उपराष्ट्रपति ने कहा, “वार्षिक उत्पादकता थोड़ा अंतर आने से किसी पीढ़ी के जीवन स्तर में बड़ा बदलाव आ सकता है। इस बात का जिक्र किया गया है कि उत्पादकता में दो फीसदी की बढ़ोतरी से करीब 35 साल में जीवन स्तर दोगुना ऊंचा हो सकता है। ”
उपराष्ट्रपति ने कहा, “अगर उत्पादक विकास दर सुस्त है यानी सालाना एक फीसदी है तो जीवन स्तर को दोगुना ऊंचा उठाने में 70 साल लग जाएंगे।” उपराष्ट्रपति ने श्रम कानून में सुधार के लिए राजनीतिक सर्वसम्मति बनाने की आवश्यकता बताई। उन्होंने कहा, “हमें उन नियमों की जरूरत नहीं है जो नौकरियों के अवसर पैदा करने में रुकावट डाले। किसी उद्यम को चलाने में कठिनाई पैदा करने वाले नियमों पर दोबारा विचार करने की जरूरत है।”