सरकारी बैंकों की होल्डिंग कंपनी बनाने की तैयारी
केंद्र सरकार सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की होल्डिंग कंपनी बनाने की तैयारी में है। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में सरकार की हिस्सेदारी अब इस कंपनी में निर्गत होगी। बैंकों की जरूरत के लिए बाजार से पूंजी जुटाने पर फैसला यही कंपनी करेगी। वित्त मंत्रालय की उच्चस्तरीय विशेष अधिकृत कमेटी ने इसका मसविदा तैयार कर लिया है। वित्त मंत्रालय में सचिव और रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर की कमेटी ने बैंकों के पुनर्गठन और पुनर्पूंजीकरण के लिए प्रस्तावित नीति को अंतिम रूप दे दिया है। यह कंपनी बैंकों के शेयर बेचने और बैंक में सरकार की हिस्सेदारी तय करेगी। मसविदे को आधिकारिक मंजूरी मिलने के बाद बैंकों के लिए 1.35 अरब रुपए के पुनर्पूंजीकरण का बांड जारी किया जाएगा।
संसद में मसविदा पारित होने के बाद यह होल्डिंग कंपनी अस्तित्व में आएगी। बैंक होल्डिंग कंपनी बनाने के इस मसविदे को अमल में लाने के लिए बैंक राष्ट्रीयकरण अधिनियम (बीएनए) में संशोधन की जरूरत होगी। वित्त मंत्रालय के अधिकारी अप्रैल तक इसके मसविदे को प्रधानमंत्री कार्यालय में भेज देंगे। वित्तीय सेवा के अतिरिक्त सचिव जीसी मुर्मू के अनुसार, प्रस्तावित होल्डिंग कंपनी ही बैंकों के विनिवेश और पूंजी जुटाने का फैसला करेगी। प्रस्तावित कंपनी का ढांचा अर्द्ध-स्वायत्त उपक्रम का होगा। इस कंपनी में मुख्य हिस्सेदारी केंद्र सरकार की होगी।
पंजाब नेशनल बैंक का घोटाला सामने आने के बाद बैंकों की नीतियों और उनके कार्यान्वयन को लेकर सवाल उठने लगे हैं। इसके मद्देनजर सरकार ने 2016 में गठित बैंक बोर्ड ब्यूरो को भंग कर वित्त मंत्रालय की कमेटी गठित कर दी। वित्त मंत्रालय में सचिव (वित्तीय सेवा विभाग) अंजली छिब दुग्गल और रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर एनएस विश्वनाथन की अगुआई वाली 11 सदस्यीय कमेटी ने प्रस्तावित नीतियों को अंतिम रूप दिया है। इस कमेटी में विभिन्न बैंकों के प्रमुख और शीर्ष वित्तीय सलाहकार कंपनियों के सीईओ शामिल किए गए हैं। इस कंपनी को सरकार अपने बैंकों की हिस्सेदारी स्थानांतरित करेगी। अभी सरकार के पास यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया की 87 फीसद, यूनियन बैंक की 55.5 फीसद, भारतीय स्टेट बैंक और पंजाब नेशनल बैंक की 57-57 फीसद और बैंक ऑफ बड़ौदा की 59 फीसद हिस्सेदारी है।