जांच में सहयोग नहीं करने पर पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम के बेटे कार्ति को सीबीआई ने किया गिरफ्तार
वरिष्ठ कांग्रेस नेता और पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम के बेटे कार्ति चिदंबरम को सीबीआई ने बुधवार (28 फरवरी, 2018) को चेन्नई एयरपोर्ट से किया गिरफ्तार है। सीबीआई का आरोप है कि कार्ति मनी लॉन्ड्रिंग मामले में जांच में सहयोग नहीं कर रहे। यह गिरफ्तारी ऐसे समय में हुई जब कार्ति लंदन से भारत लौटे थे। सूत्रों के अनुसार अभी उनसे एयरपोर्ट पर ही पूछताछ की जा रही है। इसके बाद उन्हें राजधानी दिल्ली लाया जाएगा। इससे पहले 26 फरवरी को दिल्ली की एक अदालत ने कार्ति चिदंबरम के चार्टर्ड एकाउंटेंट (सीए) एस भास्कररमन को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया था। भास्कररमन को आईएनएक्स मीडिया से जुड़े धनशोधन मामले में गिरफ्तार किया गया था।
पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम के बेटे कार्ति चिदंबरम को सीबीआई ने चेन्नई एयरपोर्ट से किया गिरफ्तार, मनी लॉन्ड्रिंग मामले में जांच में सहयोग नहीं करने पर हुई गिरफ्तारी pic.twitter.com/KPivgdKmq5
— दूरदर्शन न्यूज़ (@DDNewsHindi) February 28, 2018
बता दें कि कांग्रेस नेता के बेटे पर मनीलांड्रिंग का आरोप है। मामले में ईडी ने 13 जनवरी को कार्ति के दिल्ली और चेन्नई स्थित ठिकानों पर छापा मारकर छानबीन की थी। इससे पहले ईडी ने इस मामले में पिछले साल 1 दिसंबर को भी कार्ति के रिश्तेदारों समेत अन्य लोगों के ठिकानों पर छापे मारे थे। ज्ञात हो कि पी. चिदंबरम ने बतौर वित्तमंत्री रहते साल 2007 में एयरसेल-मैक्सिस डील को विदेशी निवेश प्रबंधन बोर्ड (एफआईपीबी) के तहत मंजूरी दी थी। इस मामले में गड़बड़ी के आरोप लगने के बाद ईडी ने जांच शुरू की थी।
ईडी पहले ही स्पष्ट कर चुका है कि तत्कालीन वित्त मंत्री (पी. चिदंबरम) द्वारा एयर-मैक्सिस डील को मंजूरी देने की परिस्थितियों की जांच कर रहा है। जांच एजेंसी का आरोप है कि कार्ति ने गुड़गांव स्थित एक प्रोपर्टी को कथित तौर पर एक बहुराष्ट्रीय कंपनी को किराए पर दिया था, जिसके लिए साल 2013 में विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (एफडीआई) की मंजूरी हासिल की गई थी। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता के बेटे पर कुछ बैंक खातों को बंद करने का भी आरोप लगाया गया है, ताकि मनीलांड्रिंग रोकथाम कानून (पीएमएलए) के तहत संपत्ति को जब्त करने की प्रक्रिया को बाधित किया जा सके।
जांच एजेंसी ने कहा था कि पी. चिदंबरम ने वित्त मंत्री के तौर पर मार्च, 2006 में एयरसेल-मैक्सिस को मंजूरी प्रदान की थी। वह सीधे तौर पर 600 करोड़ रुपए मूल्य के समझौते को ही मंजूरी देने में सक्षम थे। एयरसेल-मैक्सिस डील 800 मिलियन डॉलर (3,500 करोड़ रुपए) का था। ऐसे में इसके लिए आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति से स्वीकृति लेना अनिवार्य था, लेकिन ऐसा नहीं किया गया था। हालांकि, पी. चिदंबरम और कार्ति चिदंबरम इन आरोपों को खारिज करते रहे हैं।