CBSE की NEET संबंधी अधिसूचना पर दिल्ली हाईकोर्ट की रोक
दिल्ली उच्च न्यायालय ने नीट के लिए सीबीएसई की अधिकतम आयुसीमा और योग्यता संबंधी अन्य नियमों से जुड़ी अधिसूचना पर बुधवार को रोक लगा दी। एमबीबीएस उम्मीदवारों ने सामान्य और आरक्षित श्रेणी में क्रमश: 25 साल और 30 साल की अधिकतम आयुसीमा तय करने का विरोध किया था। इसका आवेदन जमा करने की आखिरी तारीख नौ मार्च है। इस संबंध में एमबीबीएस आवेदकों की विभिन्न याचिकाओं पर न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति चंदर शेखर की एक पीठ ने यह आदेश सुनाया। सीबीएसई की अधिसूचना के अनुसार ओपन स्कूल के छात्र, अतिरिक्त विषय के तौर पर जीवविज्ञान का चयन करने वाले छात्र, 11वीं एवं 12वीं की पढ़ाई पूरी करने में दो वर्ष से अधिक का समय लेने वाले छात्र इस परीक्षा के निए आवेदन नहीं दे सकते।
अदालत ने अंतरिम आदेश जारी करते हुए यह भी स्पष्ट किया कि उम्मीदवार प्रवेश परीक्षा के लिए आवेदन दे सकते हैं लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि वह परीक्षा में बैठ सकते हैं। पीठ ने कहा कि ओपन स्कूल और निजी तौर पर मान्यता प्राप्त बोर्ड से अपनी पढ़ाई पूरी करने वाले छात्र परीक्षा के लिए आवेदन दे सकते हैं। अदालत ने कहा कि यह अंतरिम आदेश छह अप्रैल को अगली सुनवाई होने तक जारी रहेगा।
दूसरी तरफ, सरकारी स्कूलों के बारे में लोगों के बीच बनी नकारात्मक छवि को दूर करने के मकसद से राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) ने 27 मार्च को एक राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया है। एनसीईआरटी के एक अधिकारी ने बताया कि सरकारी स्कूलों में घटते दाखिले पर तत्काल ध्यान देने और उपयुक्त कदम उठाने की जरूरत है। इस संबंध में देशभर के सरकारी स्कूलों को धीरे धीरे ‘ब्रांड’ के रूप में स्थापित करने की जरूरत है। देश के सरकारी स्कूलों में शिक्षा की स्थिति को बेहतर बनाने के रास्ते तलाशे जाने चाहिए।
उन्होंने कहा, ‘‘इस विषय को ध्यान में रखते हुए एनसीईआरटी सरकारी स्कूलों की ब्राडिंग विषय पर 27 व 28 मार्च को नई दिल्ली में राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन करने जा रही है।’’ परिषद का कहना है कि आज भी भारत में बहुसंख्य छात्र सरकारी स्कूलों में ही पढ़ने जाते हैं लेकिन सरकारी स्कूलों से निजी स्कूलों में जाने का चलन बढ़ गया है। इसके पीछे कई कारण हैं । इनमें नकारात्मक छवि बनना, स्कूल से जुड़ी विशेषताओं को लोगों के सामने पेश करने की कमी जैसे कारक शामिल हैं।