कांग्रेसी संजय निरुपम ने कहा- महाराष्ट्र में रहने वाला हर शख्स बोले मराठी
मुंबई कांग्रेस प्रमुख संजय निरुपम का कहना है कि महाराष्ट्र में रहने वाले प्रत्येक व्यक्ति को मराठी बोलना चाहिए और भाषा को जिंदा रखने के लिए ईमानदार और गंभीर प्रयास करने चाहिए। निरुपम की यह टिप्पणी गत सोमवार को महाराष्ट्र विधानमंडल में राज्यपाल सी विद्यासागर राव के संबोधन के अनुवाद में गड़बड़ी की पृष्ठभूमि में आई है। इसी तरह की गड़बड़ी मंगलवार को तब हुई जब मराठी भाषा गौरव दिन के मौके पर विधान भवन परिसर में मराठी अभिमान गीत का आखिरी छंद नहीं बजा। इसको लेकर विपक्ष ने सरकार पर निशाना साधा। निरुपम ने कहा कि मराठी महाराष्ट्र की राज्य भाषा है और यह जरूरी है कि राज्य में रहने वाला प्रत्येक व्यक्ति मराठी बोले।
उन्होंने बुधवार को एक बयान में कहा, ‘‘प्रत्येक व्यक्ति को भाषा, उसके साहित्य और सुंदरता को जिंदा रखने के लिए एक ईमानदार प्रयास करना चाहिए। उन्होंने कहा कि ऐसे राज्य में जहां मराठी को लेकर कई चुनाव प्रचार नारे बनाए जाते हैं, भाजपा सरकार की ओर से इस भाषा के लिए पर्याप्त नहीं किया गया। निरुपम ने कहा कि साढ़े तीन वर्ष पहले राज्य सरकार ने मराठी भवन का वादा किया था जिसे अभी तक पूरा नहीं किया गया है।
राज्य के शिक्षा मंत्री विनोद तावड़े ने मंगलवार को विधान परिषद में कहा कि सरकार मराठी भाषा को सीबीएसई और सीआईएससीई स्कूलों में एक अनिवार्य विषय बनाने पर विचार कर रही है। दूसरी तरफ, राज्य विधानसभा में बुधवार को विपक्षी कांग्रेस और राकंपा ने भाजपा नीत खरीफ के मौसम में पिंक बॉलवार्म से प्रभावित किसानों को राहत मुहैया नहीं कराने पर महाराष्ट्र सरकार की आलोचना की। उधर, सरकार के सदस्यों ने विपक्ष पर किसान के मुद्दे पर घड़ियाली आंसू बहाने का आरोप लगाया।
राज्य विधानसभा सत्र के शुरू होते ही विपक्ष के नेता राधाकृष्ण विखे पाटील, पृथ्वीराज चौहाण (कांग्रेस) और जयंत पाटिल (राकंपा) ने मामले पर चर्चा की मांग की। उन्होंने आरोप लगाया कि पिछले साल दिसंबर में शीतकालीन सत्र के दौरान राज्य के आश्वासन में अंतरविरोध थे। इस माह की शुरुआत में मुआवजा विवाद पर सरकारी संकल्प (जीआर) भी जारी किया गया था। उन्होंने कहा कि ममाले पर पेश किए गए उनके कार्य स्थगन प्रस्ताव पर चर्चा की जानी चाहिए।