सौरव गांगुली बोले- काश 2003 वर्ल्ड कप में महेंद्र सिंह धोनी क्रिकेटर मेरी टीम में होता
टीम इंडिया के पूर्व कप्तान क्रिकेटर सौरव गांगुली मैदान पर अपनी आक्रामकता के लिए जाने जाते हैं। जब टीम इंडिया की कमान सौरव गांगुली के हाथों में थी तो भारत ने वर्ल्ड क्रिकेट में अपनी प्रतिष्ठा में बढ़ोतरी की थी। सौरव ने अपनी आत्मकथा ‘A Century is Not Enough’ में क्रिकेट से जुड़े अपने दिनों के बारे कई बातों का खुलासा किया। सौरव की ये किताब 25 फरवरी को रिलीज हुई है। सौरव गांगुली ने टीम इंडिया के दूसरे कप्तान महेंद्र सिंह धोनी के बारे में कई बातें लिखी हैं। बता दें कि सौरव की कप्तानी में ही रांची के क्रिकेटर महेंद्र सिंह अपनी क्रिकेट करियर की शुरूआत की थी। गांगुली के नेतृत्व में धोनी को बेहतरीन क्रिकेटर साथ मिला। गांगुली ने उनकी क्षमता को पहचाना और उन्हें टॉप ऑर्डर में बैटिंग करने के लिए प्रेरित किया। क्रिकेटर साथियों में ‘दादा’ के नाम से प्रसिद्ध गांगुली अपनी आत्मकथा में लिखते हैं, ‘मैंने कई वर्षों तक ऐसे खिलाड़ियों पर लगातार नजर रखी जो दबाव के क्षणों में भी शांत रहते हैं और अपनी काबिलियत से मैच की तस्वीर बदल सकते हैं, धोनी पर मेरा ध्यान साल 2004 में गया, वे इसी तरह के खिलाड़ी थे, मैं पहले ही दिन से धोनी से बेहद प्रभावित हुआ था।’
गांगुली अपनी ख्वाहिश जाहिर करते हुए आगे लिखते हैं, ‘काश, धोनी वर्ल्डकप 2003 की मेरी टीम में होते, मुझे बताया गया कि जब हम वर्ष 2003 के वर्ल्डकप के फाइनल में खेल रहे थे, उस समय भी धोनी रेलवे में टिकट कलेक्टर (टीसी) थे, अविश्वसनीय।’ अपनी किताब में गांगुली लिखते हैं, ‘आज मैं इस बात से खुश हूं कि मेरा अनुमान सही साबित हुआ, यह शानदार है कि धोनी ने आज अपने आपको एक बड़े खिलाड़ी के रूप में स्थापित किया है।’ बता दें कि सौरव गांगुली ने भारत की ओर से 113 टेस्ट मैच खेले, जबकि भारत के लिए 311 वन डे मैच खेलने का रिकॉर्ड उनके नाम से हैं। ‘दादा’ ने टेस्ट क्रिकेट में 16 शतक लगाये। यह एक रोचक तथ्य है कि सौरव गांगुली ने जब अपना अंतिम मैच खेला था तो उस दौरान धोनी ही मैच के कप्तान थे। गांगुली ने अपना अंतिम अतंर्राष्ट्रीय मैच नवंबर 2008 में खेला था। यह मैच भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच में था। दोनों देशों के बीच यह टेस्ट मैच नागपुर में खेला गया था।