मध्य प्रदेश में एंबुलेंस न मिलने के कारण एक मासूम की चली गई जान

मध्य प्रदेश में एंबुलेंस न मिलने पर एक मासूम को अपनी जिंदगी से हाथ धोना पड़ गया। यह घटना उसकी तबीयत गड़बड़ होने के दौरान की है। चार साल की बच्ची को इस दौरान मोटरसाइकिल से गांव से 20 किलोमीटर दूर सरकारी अस्पताल ले जाया जा रहा था, जहां उसने दम तोड़ दिया। जिला प्रशासन ने इस मामले की जानकारी पर घटना की जांच के आदेश दिए हैं। मृतक के परिजन से जुड़ी एक वीडियो क्लिप भी सामने आई है, जिसमें वे मोटरसाइकिल चलाने के दौरान बच्ची को अस्पताल ले जाते दिख रहे थे। जीजा (चार) गांव नंदलेता में सपरिवार रहती थी। वह निमोनिया से पीड़ित थी। सैलाना में सोमवार शाम को उसके घर वालों ने उसे सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया। हालत में सुधार न आने पर डॉक्टरों ने उसे रतलाम के जिला अस्पताल रेफर कर दिया। पिता घनश्याम नाथ ने बताया कि उन्हें बच्ची को वहां से ले जाने के लिए एंबुलेंस नहीं मिली थी।

पीड़ित पिता ने इसके बाद दोस्त को बुलाया, जिसके पास मोटरसाइकिल थी। वे उसी की मदद से बच्ची को लेकर रतलाम के अस्पताल गए। नाथ इस दौरान बेटी को थामे थे, जबकि उनकी पत्नी हाथ में ग्लूकोस की बोतल पकड़े थीं। रतलाम में बच्चों के सरकारी अस्पताल के प्रभारी डॉ.आर.सी.डॉमर ने बताया कि बच्ची को एक्यूट निमोनिया था। वक्त पर अस्पताल न लाए जाने के कारण उसकी मौत हो गई। इलाज तत्काल शुरू कर दिया गया था, लेकिन उसे बचाया नहीं जा सका।

रतलाम के कलेक्टर सोमेष मिश्रा ने इस बारे में कहा कि सैलाना अस्पताल में पिछले तीन महीने से एंबुलेंस नहीं काम कर रही थी। लेकिन इस बारे में कॉन्ट्रैक्टर ने डॉक्टरों को सूचित नहीं किया था। अस्पताल की ओर से किसी प्रकार की लेट-लतीफी नहीं की गई। मिश्रा ने आगे बताया कि उन्होंने इस बाबत दो जांच के आदेश दिए हैं, जिसमें एक जांच चिकित्सा संबंधी लापरवाही से जुड़ी है, जबकि दूसरी जांच इंफ्रास्ट्रक्चर पर ध्यान देने को लेकर की गई है। शनिवार को इस मामले में रिपोर्ट सामने आ जाएगी। उनका कहना है कि जो भी इस मामले में बच्ची की मौत के पीछे जिम्मेदार पाया गया, उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।

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