त्रिपुरा में लाल किला ध्वस्त, लहराया भाजपा का परचम
पूर्वोत्तर के तीन राज्यों के विधानसभा चुनावों के नतीजे बताते हैं कि भाजपा अब यहां मजबूती से पैर पसार चुकी है। पार्टी ने त्रिपुरा में 25 साल से चले रहे वामपंथी शासन का खात्मा करते हुए धमाकेदार जीत दर्ज की है। 2013 के त्रिपुरा विधानसभा चुनाव में भाजपा को महज डेढ़ फीसद वोट मिले थे जबकि इस बार 43 फीसद। कभी पूर्वोत्तर में एकछत्र राज करने वाली कांग्रेस त्रिपुरा व नगालैंड में खाता भी नहीं खोल पाई है। मेघालय में वह अपना आधार बचाने में सफल रही है और 21 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बन कर उभरी है। नतीजे बताते हैं कि पूर्वोत्तर में अब दबदबे वाली पार्टी भाजपा है।
त्रिपुरा में भाजपा-इंडिजनस पीपुल्स फ्रंट (आइपीएफटी) गठबंधन ने शनिवार को शानदार जीत हासिल करते हुए इतिहास रच दिया। इसी के साथ राज्य में वाम मोर्चे के 25 साल के शासन का पटाक्षेप हो गया। भाजपा ने 35 जबकि उसकी गठबंधन सहयोगी आइपीएफटी ने आठ सीटों पर जीत हासिल की है। सरकार बनाने के लिए 31 सीट चाहिए। राज्य की 60 विधानसभा सीटों में से 59 पर 18 फरवरी को मतदान हुआ था। एक सीट पर माकपा उम्मीदवार के निधन के कारण चुनाव स्थगित कर दिया गया था। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष विप्लव कुमार देव ने बनमालीपुर सीट पर जीत हासिल की है। पिछले 25 साल से सत्ता पर काबिज माकपा इस बार 16 सीटों पर सिमट गई है। वाम मोर्चे के लिए यह अब तक का सबसे खराब प्रदर्शन है। वाम मोर्चा 1988 में कांग्रेस व त्रिपुरा उपजाति जुबा समिति के हाथों पराजित हुआ था पर तब वह महज एक सीट के अंतर से हुई हार थी। साल 2013 के विधानसभा चुनाव में वाम मोर्चे ने 60 में से 50 सीटें हासिल की थी। पिछली बार दस सीटें जीतने वाली कांग्रेस कांग्रेस को इस बार एक भी सीट नहीं मिली है। चुनाव आयोग के सूत्रों ने बताया कि इस बार पार्टी को दो फीसद वोट ही मिलते दिख रहे हैं। भाजपा की यह जीत इसलिए भी आश्चर्यजनक है क्योंकि अब तक त्रिपुरा में नगर निकायों व पंचायतों में भी भाजपा का कोई प्रतिनिधि नहीं था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भाजपा की शानदार जीत पर दिल्ली में पार्टी मुख्यालय में कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा, ‘यह शून्य से शिखर तक की यात्रा है।’ उन्होंने भाजपा अध्यक्ष अमित शाह को पार्टी की विजय यात्रा का ‘शिल्पकार’ करार दिया। भाजपा 51 सीटों पर चुनाव लड़ी और 35 पर जीत हासिल की। जबकि सहयोगी दल आइपीएफटी नौ सीटों पर लड़ी और उसे आठ सीटों पर विजय मिली।
भाजपा के वरिष्ठ नेता राम माधव ने कहा कि राज्य के लोगों ने बदलाव के लिए वोट किया है। उन्होंने कहा कि वाम मोर्चे ने काफी जबर्दस्त लड़ाई लड़ी। त्रिपुरा के भाजपा प्रभारी और असम की भाजपा सरकार में मंत्री हिमंता बिस्व सरमा ने कहा कि लोग दो दशक से भी ज्यादा समय से चल रही माणिक सरकार के कुशासन से त्रस्त थे और इससे छुटकारा पाना चाहते थे। उन्होंने कहा कि त्रिपुरा में तकरीबन 35 फीसद जनजातीय आबादी है और इन सभी ने एकजुट होकर भाजपा को वोट दिया। माकपा के महासचिव सीताराम येचुरी ने कहा कि त्रिपुरा के मतदाताओं ने भाजपा-आइपीएफटी गठबंधन को जनादेश दिया है। हम 25 साल तक सेवा का मौका देने के लिए त्रिपुरा की जनता को धन्यवाद देते हैं। उन्होंने कहा कि माकपा त्रिपुरा व पूरे देश में भाजपा की विभाजनकारी नीतियों का विरोध जारी रखेगी।
नगालैंड में कांटे की टक्कर
नगालैंड विधानसभा चुनाव में नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी (एनडीपीपी)- भाजपा गठबंधन और सत्तारूढ़ नगा पीपुल्स फ्रंट (एनपीएफ) के बीच कांटे की टक्कर रही। 58 सीटों के नतीजे घोषित हो चुके हैं जिसमें भाजपा को 11 और उसकी गठबंधन सहयोगी एनडीपीपी को 16 सीटों पर विजय मिली है। सत्तारूढ़ एनपीएफ को 27 सीटें मिली हैं। इस तरह से एनपीएफ और एनडीपीपी-भाजपा गठबंधन को 27-27 सीटें मिलती दिख रही हैं जो बहुमत के आंकड़े से तीन कम है। नेशनल पीपुल्स पार्टी को दो सीटें मिली हैं जबकि जद (एकी) को सीट मिली है। एक सीट पर निर्दलीय उम्मीदवार जीता है। राज्य की 60 सदस्यीय विधानसभा की 59 सीटों के लिए गत 27 फरवरी को चुनाव हुए थे। एनडीपीपी के प्रमुख नेफियू रियो उत्तरी अंगामी 2 सीट से निर्विरोध निर्वाचित हो गए, इसलिए इस सीट पर चुनाव नहीं कराया गया। नगालैंड में भी त्रिशंकु विधानसभा की स्थिति है क्योंकि किसी भी दल या चुनाव पूर्व गठबंधन के खाते में बहुमत नहीं दिख रहा है। हालांकि भाजपा को एनपीएफ नेता व मुख्यमंत्री टीआर जेलियांग ने नई सरकार में शामिल होने का न्योता दिया है। एनपीएफ 27 सीटों पर जीत के साथ सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी है। चुनाव से ठीक पहले भाजपा एनपीएफ से अलग हो गई थी और नेफियू रियो की नई पार्टी एनडीपीपी से हाथ मिला लिया था। परिणाम और रुझान केवल 57 सीटों के उपलब्ध हैं। जेलियांग ने कहा कि एनपीएफ भाजपा नीत नॉर्थ ईस्ट डेमोक्रेटिक एलायंस का लगातार हिस्सा रही है। उन्होंने उम्मीद जताई कि भगवा दल एनपीएफ के साथ नई सरकार बनाएगा। उन्होंने एक समाचार चैनल से कहा कि हम गठबंधन से अलग नहीं हुए हैं। मुझे उम्मीद है कि भाजपा हमारी सरकार में शामिल होगी। यदि वह शामिल होती है तो मैं इसका स्वागत करूंगा।
मेघालय में त्रिशंकु विधानसभा
मेघालय में शनिवार को हुई मतगणना का नतीजा त्रिशंकु विधानसभा के रूप में निकला और 59 में से 21 सीट जीतकर कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी। नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) 19 सीटों के साथ दूसरे स्थान पर है। वहीं, 47 सीटों पर लड़ने वाली भाजपा केवल दो सीट जीत सकी। राज्य की 60 सदस्यीय विधानसभा के लिए 59 सीटों पर गत 27 फरवरी को मतदान हुआ था। आइईडी विस्फोट में राकांपा के एक उम्मीदवार की मौत के कारण एक सीट पर चुनाव स्थगित कर दिया गया था। मेघालय में सरकार बनाने के लिए किसी पार्टी या गठबंधन को वर्तमान में कम से कम 30 सीटों की जरूरत है। कांग्रेस का किसी दल के साथ चुनाव पूर्व गठबंधन नहीं था। दस साल पुरानी मुकुल संगमा सरकार को उखाड़ फेंकने के लिए पूरी ताकत झोंकने वाली भाजपा ने भी चुनाव पूर्व किसी दल के साथ गठबंधन नहीं किया था। हालांकि एनपीपी मणिपुर और केंद्र में भगवा दल की सहयोगी है। एनपीपी प्रमुख कोनराड संगमा ने कहा कि हमें उम्मीद है कि हम सरकार बनाने में सफल होंगे। लोग भ्रष्ट कांग्रेस सरकार से हताश हैं और बदलाव की ओर देख रहे हैं। सभी की निगाहें अब क्षेत्रीय दलों और निर्दलीय उम्मीदवारों पर हैं।
यूनाइटेड डेमोक्रेटिक पार्टी (यूडीपी) ने छह सीटों पर जीत दर्ज की है। पीपुल्स डेमोक्रेटिक फ्रंट ने चार और हिल स्टेट पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी ने दो सीटों पर जीत हासिल की है। खुन हिनीवट्रेप नेशनल अवेकनिंग मूवमेंट और राकांपा ने एक-एक सीट पर जीत दर्ज की है। निर्दलीय उम्मीदवार तीन सीटों पर विजयी हुए हैं। कांग्रेस ने राज्य में सरकार गठन की संभावना तलाशने के लिए दो वरिष्ठ नेताओं- अहमद पटेल और कमलनाथ को मेघालय भेजा है। पार्टी का यह कदम गोवा और मणिपुर में समय पर कदम न उठाने के बाद हुई आलोचना के मद्देनजर आया है जहां कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी, लेकिन सरकार बनाने में विफल रही थी। पिछले साल हुए चुनाव में मणिपुर और गोवा में त्रिशंकु विधानसभा बनी थी, लेकिन भाजपा ने छोटे दलों और निर्दलीयों की मदद से सरकार बना ली थी। पटेल ने कहा कि गोवा और मणिपुर की पुनरावृत्ति नहीं होने दी जाएगी। कमलनाथ ने कहा कि यह स्पष्ट है कि हम सरकार बनाएंगे। मेघालय के लोगों की इच्छा हमारी कांग्रेस सरकार में दिखेगी। हम हर किसी के संपर्क में हैं। हर कोई हमारे संपर्क में है। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा गड़बड़ी करने के लिए धनबल का इस्तेमाल कर रही है। मुख्यमंत्री मुकुल संगमा ने पहली बार दो सीटों से चुनाव लड़ा और वे दोनों सीटों पर जीत गए हैं। उन्होंने कहा कि परिणाम उम्मीद के अनुरूप नहीं हैं और वह कांग्रेस की सरकार बनाने के लिए पूरी कोशिश करेंगे।