दक्षिणी चीन सागर में हो नौवहन की स्वतंत्रता

भारत और वियतनाम ने शनिवार को एक सक्षम और नियम आधारित क्षेत्रीय सुरक्षा व्यवस्था के साथ मुक्त और समृद्ध भारत- प्रशांत क्षेत्र के लिए काम करने का संकल्प जताया। इसे क्षेत्र में चीन के बढ़ते सैन्य विस्तार के लिए एक अहम संदेश के रूप में देखा जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और वियतनाम के राष्ट्रपति त्रान दाई क्वांग के बीच व्यापक बातचीत के बाद दोनों रणनीतिक भागीदारों ने तेल और गैस खोज क्षेत्र में आपसी संबंध बढ़ाने के साथ ही परमाणु ऊर्जा, व्यापार और कृषि क्षेत्र में तीन समझौतों पर हस्ताक्षर किए।

मोदी ने इस अवसर पर कहा कि दोनों पक्षों ने एक खुली, सक्षम और नियम आधारित क्षेत्रीय व्यवस्था के लिए प्रतिबद्धता जताई है और साथ ही समुद्री क्षेत्र में सहयोग आगे बढ़ाने पर जोर दिया है। वियतनाम के राष्ट्रपति की उपस्थिति में मोदी ने मीडिया को जारी बयान में कहा कि हम मिलकर एक खुले, स्वतंत्र और समृद्ध भारत- प्रशांत क्षेत्र के लिए काम करेंगे जिसमें संप्रभुता और अंतरराष्ट्रीय कानूनों का सम्मान होगा और जहां मतभेदों को बातचीत के जरिए सुलझाया जाएगा। दक्षिण चीन सागर को लेकर चल रहे विवाद का स्पष्ट तौर पर संदर्भ देते हुए वियतनाम के राष्ट्रपति ने कहा कि वह आसियान देशों के साथ भारत के बहुआयामी ‘संपर्क’ का समर्थन करता है और इस बात पर जोर देता है कि क्षेत्र में नौवहन और आकाश में उड़ान का आजादी होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि किसी भी विवाद का हल शांतिपूर्ण तरीके से किया जाना चाहिए।

बताते चलें कि संसाधन संपन्न दक्षिण चीन सागर को लेकर वियतनाम और कई अन्य आसियान सदस्य देशों का चीन के साथ क्षेत्रीय विवाद चल रहा है। इस मामले में जहां एक तरफ भारत और अमेरिका सहित दुनिया की अन्य ताकतें मामले को अंतरराष्ट्रीय कानून के आधार पर सुलझाने पर जोर दे रहे हैं वहीं चीन इस मामले में अलग-अलग देशों के साथ द्विपक्षीय रूपरेखा चाहता है।
वियतनाम के राष्ट्रपति ने कहा यह काफी महत्त्वपूर्ण है कि विवादों के निपटान में राजनयिक और कानूनी प्रक्रियाओं का सम्मान किया जाए। उन्होंने कहा कि हम आसियान देशों के साथ बहुआयामी संपर्क और संबंधों को बढ़ाने में भारत का समर्थन करने की प्रतिबद्धता को दोहराते हैं। ये मुद्दे सुरक्षा बनाए रखने, समुद्री सुरक्षा और नौवहन और विमानों की उड़ान की स्वतंत्रता सहित खासे महत्त्वपूर्ण हैं और इसमें किसी भी तरह के मतभेदों को समुद्री कानून पर संयुक्त राष्ट्र संधि सहित अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत शांतिपूर्ण तरीके से सुलझाया जाना चाहिए। क्वांग ने कहा कि दोनों पक्ष समुद्री क्षेत्र और साइबर सुरक्षा सहित क्षेत्रीय सुरक्षा चुनौतियों का मुकाबला करने के लिए नजदीकी से काम करने पर भी सहमत हुए हैं।

रक्षा सहयोग के मामले में प्रधानमंत्री ने कहा कि दोनों पक्षों ने रक्षा उत्पादन में गठजोड़ करने और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के क्षेत्र में अवसर तलाशने का फैसला किया है। बातचीत के दौरान, मोदी ने कहा कि भारत और वियतनाम तेल और गैस खोज, नवीकरणीय ऊर्जा, कृषि और कपड़ा जैसे क्षेत्रों में व्यापार और निवेश संबंधों को और गहरा करने पर भी सहमत हुए हैं। इससे पहले विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने वियतनाम के राष्ट्रपति से मुलाकात की। विदेश मंत्रालय में प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा कि उनके बीच बातचीत सभी क्षेत्रों में सहयोग का विस्तार करते हुए वृहद रणनीतिक भागीदारी को और मजबूत बनाने पर केंद्रित थी।

दक्षिण चीन सागर पर चीन को स्पष्ट संदेश

’प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि हम मिलकर एक मुक्त, स्वतंत्र और समृद्ध भारत-प्रशांत क्षेत्र के लिए काम करेंगे जिसमें संप्रभुता और अंतरराष्ट्रीय कानूनों का सम्मान होगा और जहां मतभेदों को बातचीत के जरिए सुलझाया जाएगा। ’दक्षिण चीन सागर को लेकर चल रहे विवाद का स्पष्ट तौर पर संदर्भ देते हुए वियतनाम के राष्ट्रपति ने कहा कि वह इस बात पर जोर देता है कि क्षेत्र में नौवहन और आकाश में उड़ान की आजादी होनी चाहिए। किसी भी विवाद का हल शांतिपूर्ण तरीके से किया जाना चाहिए।

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