पूर्वोत्तर में पांव पसारने में नाकाम हुई ‘आप’

सूबे में सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी (आप) की दिल्ली से बाहर पांव पसारने की कवायद को पूर्वोत्तर राज्यों के चुनाव में भी तगड़ा झटका लगा है। पार्टी ने नागालैंड व मेघालय विधानसभा के चुनाव में अपने प्रत्याशी उतारकर पूर्वोत्तर की सियासत में अपनी पैठ कायम करने की कोशिश की थी लेकिन उसे दोनों ही राज्यों में करारी मात मिली है। उसके उम्मीदवारों की जमानतें जब्त हो गर्इं। ‘आप’ के बागी विधायक कपिल मिश्रा ने ट्वीट किया कि मेघालय में पार्टी को कुल 1,146 वोट मिले जबकि नागालैंड में 7,355। उन्होंने चुटकी ली कि पार्टी के वरिष्ठ नेताओं संजय सिंह व आशुतोष ने इन राज्यों में चुनाव प्रचार कर यह दावा किया था कि चर्चों की ओर से ‘आप’ को भारी समर्थन मिल रहा है लेकिन अब चुनाव परिणाम से साफ है कि ये सारे दावे हवाई थे।

उन्होंने यह भी कहा कि ज्यादातर सीटों पर तो पार्टी को उम्मीदवार तक नहीं मिला। दूसरी ओर सूत्रों का कहना है कि मेघालय में पार्टी ने आधा दर्जन प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतारे थे। इनमें से चार को नोटा से भी कम वोट मिले जबकि एक अन्य सीट पर उसे निर्दलीय प्रत्याशी से भी कम मत हासिल हुए। पार्टी की इस हार पर कुमार विश्वास ने भी हमला बोला। उन्होंने ट्वीट कर कहा कि अपने असुरक्षाग्रस्त वैचारिक पतन पर विचार करने की अपेक्षा मतदान व मतगणना की प्रक्रियाओं पर प्रश्न खड़े करने वाले नवपतित आंदोलकारियों को जनता ईवीएम की बजाय अंगुलियों पर गिनने योग्य वोट दे रही है। फिर भी वे नकारात्मकता और ओछेपन में मग्न हैं। उन्होंने अपनी खास अदा में मुख्यमंत्री व पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल पर हमला बोलते हुए यह भी लिखा है कि देश की जनता को दोष मत दीजिए। उन्होंने तो दोनों दृष्टियों से अलग एक साफ सुथरी नजर को भी नजारा बख्शा, पर इन नजर वालों ने महज राजा बने रहने के लिए अपनी एक आंख फोड़कर, अंधों की फौज जोड़ ली।

सनद रहे कि दिल्ली से बाहर चुनाव नहीं लड़ने का एलान करने के बावजूद केजरीवाल की अगुआई वाली इस पार्टी ने पहले गोवा और पंजाब में अपनी किस्मत आजमाई। गोवा में उसके लगभग सारे प्रत्याशियों की जमानतें जब्त हो गर्इं जबकि पंजाब में वह विपक्ष में आई। इसके बाद गुजरात विधानसभा के चुनाव में भी उसने दम लगाया लेकिन वहां भी पार्टी खाली हाथ ही रही। अब पूर्वोत्तर के राज्यों से भी उसे निराशा हाथ लगी है। कहा जा रहा है कि राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा हासिल करने के मकसद से ही ‘आप’ देश भर में जोर आजमाइश कर रही है।

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