शर्मिंदगी से बचने के लिए यूपी इन्वेस्टर्स समिट में SDM को उठाने पड़े जूठे बर्तन, हुआ लखनऊ के डीएम की रिपोर्ट में खुलासा
मीडीया से प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार यूपी इन्वेस्टर्स समिट में अफसरों को चाय-नाश्ता लाना पड़ा और जूठीं प्लेटें भी उठानी पड़ीं। आयोजन में भारी अव्यवस्था की बात सामने आई है। खुद इसका खुलासा लखनऊ के डीएम की रिपोर्ट में हुई है। जिस एजेंसी को यह काम करना था, उसने मौके पर स्टाफ ही नहीं लगाया। जूठे बर्तनों को देखकर मौके पर मौजूद एसडीएम रैंक के अफसर खुद उठाने लगे।ताकि प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री की नजर पड़ने पर शर्मिंदगी न उठानी पड़े।
दरअसल लखनऊ में 21 और 22 फरवरी को इन्वेस्टर्स समिट का आयोजन हुआ। देश भर के उद्योगपति और इन्वेस्टर्स इसमें जुटे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भी मौजूदगी रही। इसके कारण आयोजनस्थल पर प्रधानमंत्री के लिए अस्थाई कार्यालय बना था। यहां विज क्राफ्ट नामक एजेंसी को सारी व्यवस्था दुरुस्त रखने की जिम्मेदारी शासनस्तर से दी गई थी। आरोप है कि एजेंसी ने प्रोटोकॉल के मुताबिक न तो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के लिए ग्रीन हाउस तैयार कराया और न ही प्रधानमंत्री कार्यालय में पानी की बोतल व अन्य सुविधाएं की। ‘हिंदुस्तान’ दैनिक की वेबसाइट की रिपोर्ट के मुताबिक अस्थाई प्रधानमंत्री कार्यालय में हाउस कीपिंग और जलपान व्यवस्था के लिए कोई स्टाफ की तैनाती नहीं हुई। जिससे अफसरों को पैंट्री से नाश्ता आदि उठाकर पीएम कार्यालय तक लाना पड़ा। उन्हें जूठे बर्तन भी उठाने पड़े। यही नही ऑफिस के पास एजेंसी की ओर से लगाए गए टॉयलेट में पानी खत्म हो गया।
जिससे पीएमओ के अफसरों को असुविधा हुई। प्रधानमंत्री के लिए बने स्पेशल काटेज में हैंडवाश, कौलिया और साबुन की भी एजेंसी ने व्यवस्था नहीं की। डीएम ने एजेंसी के भुगतान पर रोक लगाने की मांग की है। लखनऊ डीएम कौशल राज शर्मा नेऔद्यौगिक विकास आयुक्त को भेजी रिपोर्ट में एजेंसी की शिकायत की है। कहा है कि इस लापरवाही के कारण आयोजन में बहुत मुश्किल आई। अगर ऐसी लापरवाह संस्थाएं भविष्य में कार्य करतीं रहीं तो आयोजन में मुसीबतें खड़ी होंगी। यहां तक कि जब अफसरों ने एजेंसी के प्रतिनिधियों से व्यवस्था में लापरवाही की बात कही तो उन्होंने उच्चस्तर से बात करने की बात कहकर पल्ला झाड़ लिया। स्थानीय मीडिया, रिपोर्ट के मुतााबिक डीएम की शिकायत के बाद एजेंसी की भूमिका की जांच शुरू हो गई है। औद्यौगिक विकास आयुक्त ने सात मार्च को मीटिंग बुलाकर संबंधित एजेंसी से किए गए कार्य और भुगतान का ब्यौरा तलब किया है।