सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-NCR में पटाखे बेचने पर बैन हटाया, लेकिन इन शर्तों के साथ
सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में पटाखों की बिक्री के लिये स्थाई और खुदरा लाइसेंस निलंबित करने के अपने पिछले साल नवंबर के आदेश में मंगलवार को ‘कुछ समय के लिए’ संशोधन किया है। शीर्ष अदालत ने कहा कि दीवाली पर्व के बाद स्थाई लाइसेंस निलंबित करने के आदेश को हटाने के बारे में समीक्षा की जरूरत हो सकती है, लेकिन यह इस त्योहार के बाद हवा की गुणवत्ता पर निर्भर करेगा। न्यायमूर्ति मदन बी लोकूर और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की दो सदस्यीय पीठ ने केंद्र और संबंधित प्राधिकारियों से कहा कि वे लोगों को अलग-अलग पटाखे चलाने की बजाए सामूहिक रूप से इसमें शामिल होने के लिए प्रोत्साहित करने पर विचार करें। शीर्ष अदालत ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष की अध्यक्षता में एक समिति गठित की है, जो दशहरा और दीवाली पर्व के दौरान चलाए गए पटाखों का लोगों के स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभाव का अध्ययन करेगी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उच्च स्तरीय समिति को अपनी अध्ययन रिपोर्ट 31 दिसंबर तक न्यायालय में दाखिल करनी होगी।
न्यायालय ने कहा, ‘‘दिल्ली पुलिस को निर्देश दिया जाता है कि वह 2016 की तुलना में इस बार पटाखों की बिक्री के लिये अस्थाई लाइसेंसों की संख्या में 50 प्रतिशत कटौती करे। अस्थाई लाइसेंस 500 से अधिक नहीं होने चाहिए।’’ न्यायालय ने कहा, ‘‘इसी तरह, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में राज्यों को भी निर्देश दिया जाता है कि वे भी 2016 में दिये गए अस्थाई लाइसेंसों की तुलना में इस बार 50 प्रतिशत से अधिक अस्ठाई लाइसेंस नहीं दें। अस्थाई लाइसेंस बांटने करने के इलाके के बारे में प्राधिकारी ही निर्णय लेंगे।’’
न्यायालय ने कहा कि चूंकि दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में पर्याप्त पटाखे उपलब्ध हैं, इसलिए बाहर से पटाखों को लाने पर प्रतिबंध लगाया जाता है और संबंधित प्रवर्तन एजेन्सियां यह सुनिश्चित करेंगी कि अगले आदेश तक दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में और पटाखों का प्रवेश नहीं हो। न्यायालय ने कहा, ‘‘हमारी राय में 50 लाख किलोग्राम पटाखे 2017 में दशहरा और दीवाली के लिये काफी होंगे।’’ पीठ ने पुलिस और जिलाधिकारियों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि ‘शांत क्षेत्रों’ में पटाखे नहीं चलाए जाएं। यह क्षेत्र अस्पतालों, स्वास्थ्य सेवा केन्द्रों, शैक्षणिक संस्थानों, अदालतों और धार्मिक स्थलों तथा ऐसे ही दूसरे इलाके से कम से कम एक सौ मीटर पर होता है। न्यायालय ने पटाखा निर्माताओं की याचिका पर यह आदेश दिया जिन्होंने पिछले साल 11 नवंबर के शीर्ष अदालत के आदेश में ढील देने का अनुरोध किया था।