उत्तर प्रदेश: एनकाउंटर पर डिप्टी सीएम का बड़ा बयान, बोले- अपराधियों को खत्म कर ही होगी ‘राम राज्य’ की स्थापना
योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री पद संभालने के बाद से उत्तर प्रदेश में अपराध पर लगाम लगाने के लिए पुलिस ने व्यापक अभियान छेड़ दिया है। राज्य के विभिन्न क्षेत्रों में लगातार एनकाउंटर किए जा रहे हैं। इससे डर कर अपराधी समर्पण कर रहे हैं। विपक्षी दल पुलिस की कार्रवाई का विरोध कर रहे हैं। इस बीच, उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने मुठभेड़ का बचाव किया है। उन्होंने कहा कि अपराधियों को खत्म करना ‘राम राज्य’ की स्थापना की ओर उठाया गया कदम है। ‘टाइम्स ऑफ इंडिया’ के अनुसार, डिप्टी सीएम ने आलोचनाओं को भी खारिज किया है। केशव प्रसाद मौर्य ने कहा, ‘उत्तर प्रदेश एकमात्र राज्य नहीं है, जिसने कानून-व्यवस्था को सुनिश्चित करने के लिए व्यापक पैमाने पर कदम उठाया है। हमारी प्राथमिकता उन्हें (अपराधियों) मारना नहीं है, लेकिन यदि हथियारबंद लोग पुलिसकर्मियों पर हमला करेंगे तो उनपर गोलियां चलानी पड़ेंगी। इसका उद्देश्य पापियों का नाश कर शांतिपूर्ण माहौल का निर्माण सुनिश्चित करना है जो राम राज्य है।’
बता दें कि पिछले साल मार्च में भाजपा प्रचंड बहुमत के साथ उत्तर प्रदेश की सत्ता में आई थी। बीजेपी के तकरीबन एक साल के शासनकाल में 1,240 एनकाउंटर हुए हैं, जिनमें 40 क्रिमिनल्स मारे गए हैं। इसके अलावा 305 घायल भी हुए हैं। राज्य के उपमुख्यमंत्री ने पूछा कि क्या हमलोग यह चाहते हैं कि लोग राइफल लेकर सार्वजनिक जगहों पर खुलेआम घूमें और आमलोगों को धमकी दें? उन्होंने बताया कि हाल में ही संपन्न इनवेस्टर्स समिट में व्यवसायियों ने राज्य सराकर द्वारा उठाए गए कदम के प्रति संतुष्टि जाहिर की थी।
तिरंगा यात्रा का किया समर्थन: केशव प्रसाद मौर्य ने तिरंगा यात्रा का भी समर्थन किया है। उन्होंने इसका राष्ट्रवाद की भावना को जताने की स्वतंत्रता बताते हुए बचाव किया। बता दें कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश में गणतंत्र दिवस के मौके पर तिरंगा यात्रा के दौरान सांप्रदायिक तनाव की स्थिति पैदा हो गई थी। हालांकि, डिप्टी सीएम ने हिंस और हत्या की घटनाओं को दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया। केशव प्रसाद मौर्य फूलपुर से लोकसभा के लिए चुने गए थे। उत्तर प्रदेश में अहम पद संभालने के बाद यह सीट खाली हो गई थी, जिसके लिए 11 मार्च को उपचुनाव होना है। मौर्य इन दिनों भजापा प्रत्याशी के समर्थन में चुनाव प्रचार में जुटे हैं। सपा और बसपा के हाथ मिलाने से उपचुनाव के समीकरण अचानक से बदल गए हैं। इसे देखते हुए राज्य में सत्तारूढ़ बीजेपी किसी तरह का कोर कसर नहीं छोड़ना चाहती है।