चुनावों के बाद मालामाल हुए सांसदों और विधायकों की लिस्ट आयकर विभाग ने सुप्रीम कोर्ट को सौंपी
आयकर विभाग ने एक बंद लिफाफे में उन सांसदों और विधायकों के नाम कोर्ट को सौंपे हैं, जिनकी आय पिछले दो चुनावों के बाद बेतहाशा बढ़ी है। एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स ने लखनऊ स्थित गैर सरकारी संगठन लोक प्रहारी द्वारा दायर मामले में सह-याचिकाकर्ता के रूप में आवेदन दायर किया था। इसमें तर्क दिया गया कि कई लोग अपनी संपत्तियों के सेल्फ अटेस्ट किए हुए एफिडेविट जमा कर रहे हैं, जिसमें उनके इनकम टैक्स रिटर्न्स की जानकारी नहीं है। चुनाव सुधारों में काम करने वाली एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर), के मुताबिक 4 वर्तमान लोकसभा सांसदों की संपत्ति 12 प्रतिशत, जबकि 22 अन्य ने अपनी परिसंपत्तियों में पांच गुना वृद्धि की घोषणा की है। वहीं हाल ही में राज्यसभा के लिए चुने गए सांसद ने अपनी संपत्ति में 21 गुना इजाफे की घोषणा की है।
एडीआर के मुताबिक सात नव निर्वाचित राज्यसभा सांसदों ने संपत्ति में दो गुना इजाफे की घोषणा की है। सिर्फ पांच सालों में सांसदों की संपत्ति में एक बेतहाशा इजाफे का उदाहरण देते हुए याचिकाकर्ता एडीआर ने कहा कि चार लोकसभा सदस्यों की संपत्ति में 1200 प्रतिशत, जबकि 22 अन्य लोकसभा सदस्यों की संपत्ति में 500 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। एडीआर ने जनवरी में बताया था कि असम के एक विधायक ने संपत्तियों में 5 हजार गुना से अधिक के इजाफे का एेलान किया है। जबकि 2011 के विधानसभा चुनावों के बाद केरल के एक विधायक की संपत्ति में 1700 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। याचिकाकर्ता ने कहा कि 2014 लोकसभा चुनाव, 2016 राज्य सभा चुनाव के अलावा तमिलनाडु, पुडुचेरी, केरल, असम और पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनावों के बाद कई विधायकों और सांसदों की संपत्तियों में बेहताशा बढ़ोतरी हुई है।
केंद्र सरकार को लताड़ लगाते हुए कोर्ट ने सोमवार को टिप्पणी की थी कि सरकार एक तरफ चुनाव सुधार की बात करती है मगर दूसरी तरफ कोई भी काम समय पर पूरा नहीं करती है। पीठ ने अतिरिक्त महाधिवक्ता पी एस नरसिम्हा से कहा, क्या भारत सरकार का यही रवैया है? आजतक आपने इस मामले में क्या किया है? याचिका में एनजीओ ने ना केवल सांसद-विधायकों की संपत्ति और उनकी आय के स्रोत को सार्वजनिक किया जाय बल्कि उनकी पत्नी और बच्चों की संपत्ति और आय के स्रोतों को भी जगजाहिर किया जाए।