राम माधव ने पोस्ट की लेनिन की मूर्ति गिराते तस्वीर, यूजर्स ने फटकारा तो डिलीट किया ट्वीट?

त्रिपुरा में जीत के बाद उत्साहित बीजेपी कार्यकर्ताओं ने ब्लादिमीर लेनिन की मूर्ति को बुल्डोजर से गिरा दिया। सीपीआई ने इसे बीजेपी की डर पैदा करने की राजनीति कहते हुए तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की। इस बीच भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव राम माधव के एक ट्वीट ने विवाद को बढाने का काम किया। ट्वीट का स्क्रीनशॉट लेकर लोग सोशल मीडिया पर शेयर कर आरोप लगाने लगे कि मूर्ति गिराने में बीजेपी नेताओं की मौन सहमति रही। खुद सीपीआई ने भी अपने आधिकारिक ट्विटर अकाउंट पर इसका स्क्रीनशॉट शेयर किया। हालांकि बाद में राम माधव के अकाउंट पर सबंधित ट्वीट नजर नहीं आया। माना जा रहा है कि सोशल मीडिया पर मामले के तूल पकड़ने के कारण उन्होंने ट्वीट डिलीट कर दिया।

बीजेपी नेता राम माधव और राज्यपाल के ट्वीट का सीपीआई(एम) ने स्क्रीनशॉट शेयर कर साधा निशाना

 

त्रिपुरा के बेलोनिया में पांच साल पूर्व स्थापित कम्युनिस्ट विचारक लेनिन की मूर्ति गिराने के बाद राम माधव ने ट्वीट करते हुए लिखा था,”लोग लेनिन की मूर्ति गिराए जाने की चर्चा कर रहे हैं, रूस नहीं ये त्रिपुरा है, चलो पलटाई।” दरअसल त्रिपुरा चुनाव के दौरान बीजेपी ने चलो पलटाई का नारा दिया था। ऐसे में राम माधव के इस ट्वीट को कम्युनिस्ट पार्टी और उनके समर्थकों ने वायरल करना शूरू कर दिया। आरोप लगाया कि मूर्ति बीजेपी के बड़े नेताओं के कहने पर गिराई गई। जिसका सुबूत राष्ट्रीय महासचिव राम माधव का ट्वीट है। सीपीआई ने राज्यपाल तथागत रॉय के भी एक कथित ट्वीट का स्क्रीनशॉट शेयर किया। जिसमें उन्होंने कहा है कि अगर एक सरकार ने गलती की है तो दूसरी सरकार सुधार सकती है। सीपीआई के मुताबिक बीजेपी के साथ राज्यपाल भी मूर्ति गिराने की घटना का बजाव कर रहे हैं।सीपीआई(एम) ने राम माधव और राज्यपाल तथागत राय के ट्वीट का स्क्रीनशॉट लेकर कहा-बीजेपी, आरएसएस और राज्यपाल की ओर से हिंसा को बढ़ावा देने का यह उच्चतम स्तर है।

त्रिपुरा में लेनिन की मूर्ति गिराने को लेकर राम माधव का वह ट्वीट, जिसे बाद में डिलीट कर दिया गया

हिंसा की खबरों पर गृहमंत्री गंभीरः चुनाव परिणाम के बाद त्रिपुरा में हिंसा की खबरों के बाद केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने राज्यपाल और डीजीपी से बात कर हालात पर नजर रखने को कहा है। सीपीआईएम ने पार्टी दफ्तर और काडर पर दो सौ से ज्यादा जगहों पर मारपीट के आंकड़े जारी किए हैं। बता दें कि त्रिपुरा में 25 साल बाल वामपंथी सरकार को हार का सामना करना पड़ा है। त्रिपुरा की कुल 60 में से 59 सीटों पर मतदान हुए, जिसमें से बीजेपी और सहयोगी दल आईपीएफटी को बहुमत से अधिक 43 सीटें मिलीं।

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