SSC हाल-बेहाल: परीक्षा केंद्र कभी घर तो कभी किसी साइबर कैफे में

‘साल 2012 से मेंस परीक्षा पास कर रहा हूं लेकिन अंतिम सूची में नाम ही नहीं आ पाता है। इसकी वजह से मैं बहुत तनाव में हूं। पिताजी काफी समय से और कुछ करने के लिए कहते रहे लेकिन अब उन्होंने भी बातचीत बंद कर दी है। पड़ोसियों और रिश्तेदारों का दबाव अलग से। तनाव इतना बढ़ गया है कि एक साल से मनोचिकित्सक से इलाज करा रहा हूं।’ इलाहाबाद के ज्ञानेंद्र कुमार ने कुछ इस तरह से अपनी पीड़ा को बयान किया। वह इन दिनों सीजीओ कॉम्प्लेक्स क्षेत्र में स्थिति कर्मचारी चयन आयोग (एसएससी) के दफ्तर के सामने प्रदर्शन में शामिल पहुंचे हैं। 27 फरवरी से एसएससी दफ्तर पर सीबीआइ मांग को लेकर लगातार प्रदर्शन जारी है।

ज्ञानेंद्र का कहना है कि सभी लोग सिर्फ फरवरी में हुई परीक्षा के प्रश्नपत्र लीक की बात कर रहे हैं जबकि मामला उससे काफी आगे का है। उन्होंने आरोप लगाया कि एसएससी का परीक्षा तंत्र पूरी तरह से भ्रष्ट हो चुका है। इसको सुधारने से पहले इस तंत्र की पूरी तरह से जांच होनी चाहिए ताकि दोषियों को पता लगाया जा सके। उनका कहना है कि 2012 से लगातार मैं मेंस में सफल हो रहा हूं और अंतिम सूची में नाम ही नहीं आता है। एक दो साल तो समझता रहा कि मेरी ही कोई कमी रही होगी लेकिन जब से इस तंत्र को नजदीक के देखा है तब से पता चल गया कि यहां पूरा काम सेटिंग से होता है। ज्ञानेंद्र ने कहा कि परीक्षाएं देते-देते मैं अब 30 वर्ष का हो गया हूं। आगे क्या होगा मुझे नहीं पता।

इलाहाबाद से ही प्रदर्शन में शामिल होने के लिए पहुंचे सुजीत सिंह ने कहा कि हमारे साथ सिर्फ गलत ही हो रहा है। उन्होंने बताया कि यहां सभी को पता है कि कैसे एक ही परीक्षा केंद्र से आठ हजार उम्मीदवारों को चयन हो जाता है। वह गुस्से में कहते हैं कि यहां पूरी मिलीभगत चल रही है और लोगों को दिखाने के लिए परीक्षा ली जाती है। परीक्षा केंद्र कभी किसी के घर में डाल दिया जाता है तो कभी साइबर कैफे में। क्या कभी ऐसी परीक्षा होते किसी ने देखी है। सुजीत कहते हैं कि एसएससी के चेयरमैन हमसे पेपर लीक का सबूत मांग रहे हैं। हालांकि यह हमारा काम नहीं है उसके बाद भी हमने उन्हें सबूत उपलब्ध करा दिए हैं लेकिन वे जांच के लिए राजी नहीं हो रहे हैं क्योंकि एक बार जांच हो गई तो एसएससी तंत्र की पोल खुल जाएगी।

छह वर्ष में दोगुनी हुई कटआॅफ
दिल्ली के रहने वाले रजत वर्मा ने बताया कि जिस परीक्षा में ऋणात्मक अंक भी दिए जा रहे हैं, तो भी उसमें 200 में से 200 अंक मिलने पर आश्चर्य तो होगा ही। लेकिन ये आश्चर्यजनक काम एसएससी में हो रहे हैं। उन्होंने बताया कि इससे कटआॅफ पहले के मुकाबले करीब दोगुनी बढ़ गई है। पहले जहां 40 फीसद अंकों पर कटआॅफ जारी हो जाती थी जबकि अब 80 फीसद से अधिक पर भी उम्मीदवारों का चयन नहीं हो रहा है।

हाईटेक तरीके से होती है परीक्षा में नकल
दिल्ली के ही रहने वाले विशाल सिंह ने आरोप लगाया कि जब से आॅनलाइन परीक्षाएं शुरू हुई हैं, तब से हाईटेक तरीके से परीक्षा में नकल शुरू हो गई है। उन्होंने बताया कि एम्मी एडमिन, टीम वर्क और एनी डेस्क जैसे सॉफ्टवेयर के माध्यम से उम्मीदवार के कंप्यूटर को कहीं दूर बैठा व्यक्ति संचालित करता है। सेंटर की मिलीभगत से यह नकल की जाती है।

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