बीफ रखने के आरोपी को कोर्ट ने किया बरी, खट्टर सरकार को फटकार के साथ दो लाख रुपये मुआवजा का आदेश
बीफ रखने के एक मामले में अदालत में हरियाणा सरकार और पुलिस की किरकिरी हुई है। इस मामले में अदालत ने ना सिर्फ बीफ रखने के आरोपियों को बरी कर दिया है बल्कि उन्हें राज्य सरकार से मुआवजा भी दिलवाया है। ये मामला लगभग डेढ़ साल पहले 11 सितंबर 2016 का है। तब पुलिस ने मांस से भरे एक ट्रक को जब्त किया था। पुलिस का आरोप था कि ट्रक में बिना सरकारी इजाजत के बीफ ले जाया जा रहा है। इस ट्रक को कुछ लोगों ने सड़क पर पकड़ा था और इसमें आग लगा दी थी। पुलिस ने मांस का सैंपल लेकर जांच के लिए भेज दिया था। बुधवार (7 मार्च) को इस मामले की सुनवाई एडीजे कोर्ट पलवल में हो रही थी। जांच में ये सामने आई है कि ट्रक में लदा मांस बीफ न होकर दूसरे जानवरों का था। अदालत ने इस पूरे केस को गंभीर सरकारी लापरवाही माना है और 30 दिन के अंदर आरोपियों को दो लाख रुपये मुआवजा देने का फैसला सुनाया है।
हथीन थाना के प्रभारी सुमन कुमार का कहना है कि ये केस पलवल के पास मंडकौला गांव का है। यहां पर जानवरों के खाल और मीट से भरा एक ट्रक पकड़ा गया था। स्थानीय लोगों को जब इस बरामदगी की जानकारी मिली तो वे लोग यहां पहुंच गये और हंगामा करने लगे। पुलिस कुछ कर पाती इससे पहले ही लोगों ने ट्रक में बीफ होने का आरोप लगाकर इसमें आग लगा दी, और ट्रक में सवार लोगों के साथ मारपटी की गई। हथीन पुलिस ने कांस्टेबल रवि कुमार की शिकायत पर बिना लाइसेंस बीफ ले जाने के आरोप में 8 लोगों को गिरफ्तार किया, जबकि ट्रक में भरे मीट के सैंपल को जांच के लिए हिसार लैब भेज दिया गया। प्रयोगशाला की जांच में यह साबित हुआ है कि ट्रक में बीफ नहीं बल्कि मटन ले जाया जा रहा था जबकि खालें गाय की ना होकर दूसरे पशुओं की थीं। पुलिस ने इस मामले में मुबारिक, अजीज, आसिफ, राहुल, शीशपाल, भूरा, विष्णु और गिरिराज खिलाफ अदालत में चार्जशीट दाखिल किये थे। 7 मार्च को एडीजे अनुभव शर्मा ने सभी आरोपियों को बरी कर दिया और पुलिस को लापरवाही से जांच करने के लिए फटकार लगाई।