लालू-राहुल के मंझधार में फंसे मांझी, नहीं बन रही बेटे या अपने किसी आदमी को राज्‍यसभा भेजने की सूरत

बिहार में भी छह सीटों के लिए राज्यसभा चुनाव होने हैं। इसके लिए नामांकन दाखिल करने की आखिरी तारीख 12 मार्च है लेकिन बीजेपी के अलावा किसी भी दल ने अभी तक उम्मीदवारों का एलान नहीं किया है। 243 सदस्यों वाली बिहार विधान सभा में संख्या बल के हिसाब से बीजेपी मात्र एक व्यक्ति को ही संसद के ऊपरी सदन भेज सकती है। इसके लिए बीजेपी ने केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद के नाम का ऐलान कर दिया है। एक उम्मीदवार के लिए बिहार में 35 विधायकों के वोट की दरकार है। बीजेपी के पास 53 विधायक हैं। इस लिहाज से एक की जीत पक्की है। जेडीयू के पास कुल 71 विधायक हैं। इस लिहाज से जेडीयू दो लोगों को राज्यसभा भेज सकती है। राजद के पास फिलहाल 79 विधायक हैं। लालू यादव की पार्टी भी दो लोगों को संसद भेज सकती है। इस तरह से पांच लोगों के सांसद बनने का रास्ता साफ हो चुका है लेकिन चेहरा साफ होना बाकी है।

माना जा रहा है कि जेडीयू कोटे से प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह का नाम फाइनल है लेकिन दूसरे नाम पर अभी भी पेंच फंसा हुआ है। केसी त्यागी संसद पहुंचेंगे या नहीं अभी तस्वीर साफ नहीं हुई है। राजद में भी दो सीटों पर कौन संसद पहुंचेगा, अभी तक लालू यादव ने फैसला नहीं किया है। माना जा रहा है कि उप चुनावों के प्रचार की समय-सीमा खत्म होने के बाद शनिवार-रविवार तक धुंध छंट जाएगा। वैसे पार्टी के उपाध्यक्ष और पूर्व केंद्रीय मंत्री रघुवंश प्रसाद सिंह और पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी का नाम सबसे आगे है।

छठे सीट पर सियासी पशोपेश जारी है। सूत्रों का मानना है कि एनडीए छोड़कर राजद-कांग्रेस गठबंधन में शामिल हुए पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी चाहकर भी अपने बेटे संतोष कुमार मांझी को संसद नहीं भेज पाएंगे क्योंकि दो सांसद चुनने के बाद राजद के पास मात्र 9 सरप्लस विधायक बचेंगे। सहयोगी कांग्रेस के पास 27 विधायक हैं। अगर राजद और कांग्रेस के विधायक मिल जाएं तो छठे उम्मीदवार की जीत पक्की है मगर सियासी पेंच यहां फंसा है कि छठा उम्मीदवार होगा कौन? सूत्रों के मुताबिक छठे उम्मीदवार के तौर पर कांग्रेस अपना चेहरा चाहती है। कांग्रेस के प्रभारी अध्यक्ष इसके लिए दिल्ली में पार्टी अध्यक्ष के साथ बैठक भी कर चुके हैं लेकिन चेहरा अभी तक साफ नहीं हो सका है। पार्टी सूत्रों के मुताबिक अभिषेक मनु सिंघवी, राजीव शुक्ला या राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार और पूर्व लोकसभा स्पीकर मीरा कुमार कांग्रेस उम्मीदवार हो सकती हैं। कांग्रेस भी इन तीन चेहरों को लेकर पशोपेश में है मगर इसके साथ यह साफ हो गया है कि एक विधायक वाली हम के अध्यक्ष जीतनराम मांझी किसी को भी संसद भेजने में कामयाब नहीं हो सकते हैं।

जीतनराम मांझी ने जब राजद-कांग्रेस गठबंधन ज्वाइन किया था तब कहा जा रहा था कि राज्यसभा की एक सीट के लिए राजद से उनका समझौता हुआ है लेकिन मौजूदा परिस्थितियों में नहीं लगता कि हम का कोई नेता संसद पहुंच पाएगा। बहरहाल, सियासी गलियारों में इस बात की चर्चा तेज है कि राजद जीतनराम मांझी के किसी खास को संसद नहीं तो बिहार विधान परिषद पहुंचा सकती है।

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