प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रैली में वसुंधरा के भाषण के दौरान दिखाए गए काले झंडे

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की गुरुवार को झुंझनूं में हुई सभा में बड़ी संख्या में काले झंडों के पहुंचने से भाजपा के साथ ही प्रशासन और पुलिस में हड़कंप मच गया। इस सभा में सुरक्षा के तगडेÞ इंतजाम होने के बावजूद लोगों ने भारी नारेबाजी करते हुए मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की मुखालफत की। इस घटना के बाद उच्च स्तर से गहरी नाराजगी जताए जाने के बाद अब पुलिस और खुफिया तंत्र के अफसर जांच के घेरे में आ गए हैं। नारेबाजी करने वालों ने सिर्फ राजे के विरोध में ही आवाज बुलंद की और प्रधानमंत्री के भाषण के दौरान उन्होंने चुप्पी साध ली।

झुंझनूं में बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ अभियान के दौरान प्रधानमंत्री मोदी की सभा में लोगों के नारेबाजी करने और काले झंडे लेकर पहुंचने से भाजपा का आलाकमान चिंतित हो गया है। सभा में सुरक्षा का आलम यह था कि किसी भी आदमी और महिला को काले कपडेÞ पहन कर जाने की इजाजत नहीं दी गई थी। प्रधानमंत्री की सभा में किसान और कुछ युवा संगठनों के विरोध करने की सूचना खुफिया तंत्र ने दे रखी थी। इसके बाद ही सुरक्षा अमले ने पूरी तरह से सभा में प्रवेश को लेकर लोगों की कड़ी जांच की थी। सभा स्थल के जिस हिस्से में विरोध में नारेबाजी हुई थी, उसमें प्रधानमंत्री के पहुंचने से पहले ही अफरा-तफरी का माहौल बन गया था। भाजपा के कई नेता इस हिस्से में लोगों को समझाने भी पहुंचे थे।
भाजपा के लिए सबसे बड़ी चिंता इस बात को लेकर है कि विरोध करने वालों ने प्रधानमंत्री के तो पक्ष में नारे लगाए, पर मुख्यमंत्री राजे के भाषण के दौरान बाधा डाली। प्रदेश में हाल के उपचुनावों की हार के बाद से ही भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व राजस्थान में माहौल को सुधारने की कवायद में लगा हुआ है।

प्रधानमंत्री की सभा में मुख्यमंत्री राजे के भाषण के दौरान हुए हंगामे के बाद उच्च स्तर से इसके लिए जिम्मेदार अफसरों से रिपोर्ट तलब की गई है। प्रधानमंत्री के लौटने के बाद ही खुफिया तंत्र से इस बात की रिपोर्ट ली जा रही है कि इतनी बड़ी चूक कैसे हो गई और समय रहते खिलाफत में हुई नारेबाजी को कैसे नहीं रोका गया। सभा में हुई नारेबाजी का वीडियो अब सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। इससे भी भाजपा नेतृत्व के माथे पर बल पड़ गया है। पार्टी स्तर पर भी इस बात की जानकारी जुटाई जा रही है कि विरोध करने वाले कौन लोग थे। भाजपा में एक खेमा मान रहा है कि मौजूदा प्रदेश नेतृत्व से खफा चल रहे पार्टी के लोगों ने ही प्रधानमंत्री के सामने इस तरह का विरोध किया है।

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