मानवाधिकार के शूरवीरों को एक बार बंगाल हिंसा की रिपोर्टिंग करनी चाहिए: अमित शाह
भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने यहां मंगलवार को मानवधिकार कार्यकर्ताओं पर तंज कसते हुए कहा कि मानवाधिकार शूरवीरों को दिल्ली से बाहर निकलना चाहिए और सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ताओं की ओर से उनकी पार्टी के कार्यकर्ताओं पर की गई हिंसा को सामने लाना चाहिए। राज्य में कथित रूप से राजनीतिक हिंसा का शिकार हुए पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ बैठक के बाद शाह ने पत्रकारों से कहा, “मैं दुनिया के मानवधिकार शूरवीरों से अपील करता हूं कि जब भी कहीं कुछ होता है तो वहां से मानवधिकार कार्यकर्ताओं की आवाज सुनाई पड़ती है। उन्हें कुछ समय निकालकर कोलकाता, बशीरहाट और बीरभूम की राजनीतिक हिंसा पर रिपोर्ट करनी चाहिए।” उन्होंने कहा कि यहां पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं की हत्या की गई है, उन्हें शारीरिक यातनाएं दी गई हैं, उनके घरों और दुकानों में आग लगा दी गई है। शाह ने कहा, “क्या यह मानवाधिकार का हनन नहीं है? कोई राजनीतिक पार्टी से जुड़ा हुआ है, इसलिए किसी के पति, भाई या पिता की हत्या कर दी जाती है। क्या यह मानवाधिकार हनन नहीं है?”
उन्होंने उम्मीद जताते हुए कहा कि शायद उनकी आवाज मानवाधिकार शूरवीरों तक पहुंचे। शाह ने कहा, “मैं उम्मीद करता हूं कि वे लोग मेरी आवाज सुनेंगे और दिल्ली से बाहर आकर पश्चिम बंगाल के दूरदराज के इलाकों में जाकर घटनाओं का संज्ञान लेंगे और इस हिंसा को दुनिया के सामने लाएंगे।” उन्होंने कहा, “राजनीतिक हिंसा में छह वर्ष के एक बच्चे तक की हत्या कर दी गई। भाजपा कार्यकर्ता इस अत्याचार का बहादुरी से सामना करेंगे। हम अपना काम जारी रखेंगे। कोई भी बंगाल में भाजपा की बढ़त को रोक नहीं सकता।”
यह बात दीगर है कि गोरखपुर के अस्पताल में ऑक्सीजन की आपूर्ति रोक दिए जाने से 60 से ज्यादा बच्चों की जब मौत हो गई थी तो भाजपा अध्यक्ष शाह ने कहा था, “इतने बड़े देश में ऐसी घटनाएं होती रहती हैं।” इस घटना में शाह को मानवाधिकार का हनन नजर नहीं आया था और न ही हृदय में संवेदना के तार झनझनाए थे, क्योंकि उन बच्चों की हत्या राजनीतिक हत्या नहीं थी।