यूपी: साफ हो रही 2019 की तस्वीर, मोदी को हराने सपा-बसपा-कांग्रेस मिला सकती हैं हाथ

उत्तर प्रदेश से राज्य सभा की दस सीटों पर 23 मार्च को चुनाव होने हैं। इस बीच कांग्रेस ने बसपा उम्मीदवार भीमराव अंबेडकर को समर्थन देने का एलान किया है। सपा भी अपने सरप्लस वोट बसपा उम्मीदवार को देगी। बता दें कि 403 सदस्यों वाली यूपी विधानसभा में सपा के 47 और बसपा के मात्र 19 विधायक हैं। यानी सपा के पास 10 सरप्लस वोट हैं। इस संख्या बल पर सपा एक उम्मीदवार को आसानी से राज्यसभा भेज सकती है। 10 सरप्लस वोट सपा बसपा उम्मीदवार को देगी। कांग्रेस के पास 7 विधायक हैं। इस तरह बसपा को कुल 36 (बसपा के 19, सपा के 10 सरप्लस, कांग्रेस के सात) वोट मिलने के आसार हैं। माना जा रहा है कि अजित सिंह की आरएलडी और निषाद के एक विधायक भी बसपा उम्मीदवार को समर्थन देंगे। इस तरह बसपा को कुल 38 वोट मिल जाएंगे जबकि जीत के लिए मात्र 37 विधायकों की दरकार होगी।

इधर, कांग्रेस नेता ने साम्प्रदायिक राजनीति के खिलाफ बसपा को समर्थन देने की बात कही है। कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व ने भी प्रदेश कांग्रेस के इस फैसले पर अपनी सहमति जता दी है। हालांकि, गोरखपुर लोकसभा उप चुनाव में कांग्रेस ने सपा उम्मीदवार को समर्थन न देकर अपना उम्मीदवार खड़ा किया है। अगर यूपी लोकसभा उप चुनाव और राज्यसभा चुनाव के नतीजे सपा-बसपा की दोस्ती के पक्ष में रहते हैं तो इस बात की पूरी संभावना है कि बसपा सुप्रीमो मायावती 23 साल पहले के गेस्ट हाउस कांड को भुलाकर 25 साल पुराने सपा-बसपा के गठबंधन की कहानी को व्यापक स्तर पर दोहरा सकती हैं।

राजनीतिक जानकारों का कहना है कि यूपी में जिस तरह से राजनीतिक गठजोड़ हो रहे हैं उससे मिशन 2019 की तस्वीर साफ होती जा रही है। इस बात की अब पूरी संभावना है कि 2019 का लोकसभा चुनाव सपा, बसपा और कांग्रेस के साथ-साथ आरएलडी भी एक महागठबंधन के तहत लड़ सकती है। बता दें कि इन्हीं रणनीति पर चर्चा करने के लिए कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी अगले हफ्ते दिल्ली में रात्रि भोज दे रही हैं। माना जा रहा है कि दर्जनभर विपक्षी दलों के नेता इस रात्रिभोज में शामिल होकर 2019 का नया सियासी जायका बनाएंगे।

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