प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सौर बिजली परियोजनाओं के लिए सस्ता कर्ज उपलब्ध कराने पर दिया जोर
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश में सौर बिजली परियोजनाओं को सस्ता कर्ज उपलब्ध कराने पर जोर दिया है। उन्होंने कहा कि इससे कुल ऊर्जा उत्पादन क्षेत्र में सौर बिजली का हिस्सा बढ़ाया जा सकेगा, सस्ती बिजली उपलब्ध कराई जा सकेगी और कॉर्बन उत्सर्जन में भी कमी लाई जा सकेगी। रविवार को यहां अंतरराष्ट्रीय सौर गठजोड़ (आइएसए) के संस्थापन सम्मेलन को संबोधित करते हुए मोदी ने सौर ऊर्जा क्षेत्र के लिए रियायती और कम जोखिम वाला कर्ज उपलब्ध कराने का आह्वान करते हुए देश में 2022 तक अक्षय ऊर्जा स्त्रोतों से बिजली उत्पादन को 175 गीगावॉट तक पहुंचाने की प्रतिबद्धता जताई है। इससे देश में अक्षय ऊर्जा क्षमता मौजूदा की तुलना में दोगुना से अधिक हो जाएगी। इससे भारत पहली बार अक्षय ऊर्जा के विस्तार में यूरोपीय संघ से आगे निकल जाएगा।
मोदी ने आइएसए की स्थापना में मुख्य भूमिका निभाई है, जिसके जरिये 121 देशों को एक साथ लाया गया है। इस मौके पर प्रधानमंत्री ने दस सूत्रीय र्कारवाई योजना पेश की। इस कार्रवाई योजना में सभी राष्ट्रों को सस्ती सौर प्रौद्योगिकी उपलब्ध कराना, ऊर्जा मिश्रण में फोटोवोल्टिक सेल से उत्पादित बिजली का हिस्सा बढ़ाना, नियमन और मानदंड बनाना, बैंक ऋण योग्य सौर परियोजनाओं के लिए सलाह देना और विशिष्टता केंद्रों का नेटवर्क बनाना शामिल है। उन्होंने कहा कि बेहतर और सस्ती सौर प्रौद्योगिकी सभी देशों को उपलब्ध होनी चाहिए। हमने अपने ऊर्जा क्षेत्र में सौर बिजली का हिस्सा बढ़ाया है।’ प्रधानमंत्री ने कहा कि नवोन्मेषण को भी प्रोत्साहन दिए जाने की जरूरत है ताकि विभिन्न जरूरतों के लिए समाधान उपलब्ध हो सके। हमें सौर परियोजनाओं के लिए रियायती दर पर कम जोखिम वाला कर्ज उपलब्ध कराना होगा। आइएसए का लक्ष्य 2030 तक 1,000 गीगावॉट के सौर बिजली उत्पादन और 1,000 अरब डॉलर का निवेश जुटाना है। मोदी ने कहा कि क्षेत्र के लिए नियमन और मानदंड स्थापित किए जाने चाहिए जिससे सौर ऊर्जा को तेजी से अपनाया जा सके। प्रधानमंत्री ने कहा कि विकासशील देशों में ऋण योग्य सौर परियोजनाओं के लिए सलाहकार सहयोग दिया जाना चाहिए। समावेशन पर जोर देते हुए मोदी ने कहा कि विशिष्टता केंद्रों का नेटवर्क विकसित किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि विकास के लिए सौर ऊर्जा नीति को पूर्णता से देखा जाना चाहिए, जिससे यह सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) को हासिल करने में मदद कर सकें। उन्होंने कहा कि आइएसए सचिवालय को मजबूत और पेशेवर बनाया जाएगा। प्रधानमंत्री ने कहा कि लोगों की ऊर्जा जरूरत को पूरा करने के लिए सौर ऊर्जा एक स्थायी, सस्ता और भरोसेमंद स्रोत है।
मोदी ने संकीर्ण निजी हित से बाहर निकल कर मानव जीवन की बेहतरी के लिए सामूहिक प्रयासों पर जोर दिया। भारत ने दुनिया का सबसे बड़ा अक्षय ऊर्जा कार्यक्रम शुरू किया है जिसके अंतर्गत 175 गीगावॉट बिजली का उत्पादन अक्षय ऊर्जा स्रोतों से किया जाएगा। इसमें से 100 गीगावॉट सौर ऊर्जा से 60 गीगावॉट पवन ऊर्जा से मिलेगा। उन्होंने कहा, ‘हम सौर ऊर्जा उत्पादन के लक्ष्य में से 20 गीगावॉट सौर बिजली की स्थापित क्षमता पहले ही हासिल कर चुके हैं।’ उद्योग के अनुमान के अनुसार भारत को 175 गीगावॉट के लक्ष्य को पाने के लिए 2017-18 से 2021-22 तक 83 अरब डॉलर की जरूरत होगी। अक्षय ऊर्जा स्रोतों से सस्ती, टिकाऊ और स्वच्छ बिजली उपलब्ध होती है। इसके अलावा यह प्रदूषण फैलाने वाली कोयला आधारित बिजली उत्पादन का बेहतर विकल्प है। फोटोवोल्टिक में बिजली सिंचाई के लिए काफी संभावना है और इससे डीजल जेनरेटरों का इस्तेमाल कम किया जा सकता है। इस समय देश की स्थापित अक्षय ऊर्जा क्षमता 63 गीगावॉट की है। सौर बिजली और पवन ऊर्जा की दरें अपने सर्वकालिक निचले स्तर क्रमश: 2.44 रुपए प्रति यूनिट और 3.46 रुपए प्रति यूनिट पर आ गई हैं। यह दुनिया में सबसे निचली दरों में है। इस अवधि में चीन का 360 गीगावॉट अक्षय ऊर्जा उत्पादन क्षमता का लक्ष्य है।
आइएसए के प्रति भारत की प्रतिबद्धता का जिक्र करते हुए मोदी ने कहा कि सदस्य देशों के लिए 500 प्रशिक्षण स्लॉट उपलब्ध कराए जाएंगे। इसके साथ ही क्षेत्र में शोध व विकास को आगे बढ़ाने के लिए सौर प्रौद्योगिकी मिशन शुरू किया जाएगा। मोदी ने कहा कि भारत ने पिछले तीन साल के दौरान 28 करोड़ एलईडी बल्ब वितरित किए हैं। इससे दो अरब डॉलर की बचत हुई है। साथ ही इससे हम चार गीगावॉट बिजली भी बचा सके हैं। आईएसए का मुख्यालय गुड़गांव में है। यह संधि आधारित अंतर सरकारी संगठन है। इसकी स्थापना पेरिस घोषणा के बाद एक ऐसे गठजोड़ के रूप में की गई है जो सदस्य देशों में सौर ऊर्जा के प्रचार प्रसार के लिए काम करेगा।