शादी के कई साल बाद भी भोग रहे हैं संतान वियोग, हथेली की ये रेखा तो जिम्मेदार नहीं

विवाह सिर्फ दो लोगों के संबंध पर नहीं टिका होता है, उसमें कई लोग जुड़े होते हैं। इन्हीं लोगों के जुड़े होने के कारण विवाहित जोड़े के समक्ष वंश वृद्धि का प्रश्न हमेशा उपस्थित रहता है। कई बार शादी होने के कई वर्षों तक संतान का सुख नहीं मिल पात है जिसके कारण लोग खुद को दोष देने लगते हैं। संतान का मोह इतना ज्यादा होता है कि कई बार टूटे हुए रिश्तों को भी ये जोड़ देता है और कई बार जुड़े हुए रिश्ते भी टूटने की कगार पर आ जाते हैं। ज्योतिष विद्या की इसमें अलग राय है। उसका मनाना है कि आपकी हथेली में मौजूद विवाह रेखा के साथ संतान रेखा भी संतान के होने में जो कष्ट आ रहे हैं उसके लिए जिम्मेदार होती है। हथेली में मौजूद सभी रेखाएं जब सुंदर और स्पष्ट होती हैं तो जीवन में किसी तरह की समस्याएं नहीं आती हैं, जीवन बहता चलता है. लेकिन जब रेखाएं बीच में से टूट जाती है या उनपर कोई और रेखा आकर कटाव डालती है तो जीवन में दुःख भोगने पड़ सकते हैं। आज हम आपके हाथ में मौजूद संतान रेखा पर बात करने जा रहे हैं अगर आपकी हथेली में मौजूद रेखा भिन्न-भिन्न है तो किस तरह की परेशानी का सामना करना पड़ सकता है।

संतान रेखाएं विवाह रेखा के ऊपर-नीचे दोनों ओर ही थोड़े से अंतर से पाई जाती हैं। इनका अस्तित्व छोटी उंगली यानी कनिष्ठिका उंगली के पास होता है। विवाह रेखा पर जितनी खड़ी रेखाएं सुंदर, स्पष्ट, और लंबी होंगी वो रेखाएं पुत्र प्राप्ति की मानी जाती है और जो रेखाएं छोटी और गहरी होती हैं उन्हें कन्या रेखा समझा जाता है। जो रेखाएं बहुत ज्यादा छोटी-टूटी, कटी-फटी, द्वीप रूप, लहरदार या अन्याय दोषों से युक्त हों वो संतान के मृत्यु का सूचक हो सकती हैं। भद्दी,अस्पष्ट रेखा एक दुखदायी, निकम्मी अयोग्य संतान की हो सकती है। संतान रेखा का कहीं बीच में से खंडित होना संतान की अकाल मृत्यु का परिचायक हो सकती है। संतान रेखा के निचले सिरे पर द्वीप, रोगी बाधक के होने का संकेत होती है। अंत में द्वीप लंबी बिमारी से अंत का परिचायक होता है।

हथेली में यदि संतान रेखा उथली-अधूरी हों, तो गर्भस्राव व गर्भक्षय की सूचना देती है। यदि रेखाएं ठीक से स्पष्ट ना हो, समतल शुक्र के साथ मणिबंध हथेली में धंसे हुए हो तो व्यक्ति को संतानहीन समझा जाता है। स्पष्ट निर्दोष लंबी रेखा का अर्थ होता है बालक माता-पिता का भक्त, आज्ञाकारी, हितैषी, यशस्वी होगा। लड़की पितृ और पति कुल दोनों के लिए शुभ होगी। संतान रेखा ऊपर को उठती हुई कनिष्ठिका के मूल को पार करती हुई उसकी विभक्ति में प्रविष्ट होने का रथ है कि बालक जीवन में राजदंड पाएगा। यदि संतान रेखा दाम्पत्य जीवन को काटती हुई नीचे की ओर बढे तो संतान आचरणहीन, कलंकित, माता-पिता को कष्ट देने वाली होती है।

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